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जीवन में सफलता के शिखर पर कैसे पहुंचे : इस बात का रखें ध्यान, कभी दुबारा मुड़कर देखना नहीं होगा

जीवन में सफलता के शिखर पर कैसे पहुंचे  : इस बात का रखें ध्यान, कभी दुबारा मुड़कर देखना नहीं होगा

डेस्क... जिंदगी की इस रेस में हर कोई सफल होना हर चाहता लेकिन सफलता कैसे पाई जाती है इस बारे में लोगों की समझ अभी भी पूरी नहीं है उन्हें इस विषय पर आधा –अधूरा ज्ञान  है. इंटेलिजेंट कोशंट यानि आईक्यू की अधिकता को लोग , अधिक महत्वपूर्ण मानते है जबकि  भावनात्मक अर्थात् इमोशनल कोशंट को उतनी तरजीह नहीं दी जाती है. जाने क्या है आईक्यू और इमोशनल इंटेलिजेंस-


आईक्यू :-क्या होता है आईक्यू लेवल?

आईक्यू लेवल का मतलब होता है, किसी व्यक्ति में कितनी बुद्धि है, वह कितना जीनियस है. उसका दिमाग किसी परिस्थिति में  कितनी तेजी से काम करता है। दिमाग के कार्य करने की क्षमता कितनी है, यह आईक्यू लेवल पर निर्भर करता है। IQ यानी, Intelligent Quotient. यह आपके मस्तिष्क के सोचने-समझने और नॉलेज हासिल करने से ताल्लुकात रखता है। हम दिमागी तौर पर किसी काम को कितने बेहतर तरीके से कर सकते हैं यह हमारा दिमाग तय करता है और आपका दिमाग कितना बेहतर है यह IQ level के जरिए पता लगाया जा सकता है।

अगर आप किसी सवाल को हल करने में, नए आईडिया देने में, या कुछ नया सीखने में अपने साथ के छात्रों से या लोगों से आगे रहते हैं, या आप कम पढ़ाई करके भी ज्यादा marks लाते हैं तो जाहिर है आपका IQ लेवल उनसे ज्यादा है.अक्सर देखने में आता है कि अकादमिक शिक्षा में उम्दा प्रदर्शन करने वाले जिंदगी की आपाधापी में पीछे छूट जाते हैं. कक्षा के मेधावी असल व्यवहार में खुद को उलझा हुआ पाते हैं. इसलिए आधुनिक दौर में आईक्यू से ज्यादा ईक्यू यानि इमोशनल कोशंट को महत्व दिया जाता है.


क्या है इमोशनल इंटेलिजेंस और यह कैसे काम करती है इमोशनल कोशंट यानि भावनात्मक बुद्धिमत्ता-

स्वयं की एवं दूसरों की भावनाओं को समझने, व्यक्त करने और नियंत्रित करने की योग्यता है इमोशनल इंटेलिजेंस. अपनी भावनाओं को समझकर उनका उचित प्रबंधन करना भी यही है. इमोशनल इंटेलिजेंस तनाव कम करती है. लोगों के साथ काम करने की काबिलियत बढ़ाती है. सफलता के लिए क्यों जरूरी है इमोशनल इंटेलिजेंस. शोध बताते हैं कि काम के सर्वोच्च प्रदर्शन के लिए आवश्यक 67 प्रतिशत गुण आपकी भावनात्मक बुद्धिमत्ता के साथ ही जुड़े हुए हैं.शोध में यह   पाया गया कि काम के सर्वोच्च प्रदर्शन के लिए बुद्धिमानी या तकनीकि बु्द्धिमत्ता से दोगुना ज्यादा मायने रखती है भावनात्मक बुद्धिमत्ता.

इमोशनली इंटेलिजेंट लोगों को साथ में रखें क्योंकि वे...

कठिन काम को आसान बना देते हैं. खुद को बेहतर व्यक्त कर पाते हैं.

दूसरों का सम्मान पाते हैं। दबाव महसूस करते हुए भी सहज रहते हैं.

सही नतीजों के लिए सही बात करना जानते हैं। समय पर काम पूरा करने के लिए खुद का उत्साह बढ़ाते हैं.

खराब परिस्थितियों में भी सकारात्मक बने रहते हैं

क्यों हायर करना चाहिए इमोशनली इंटेलिजेंट स्टाफ

आत्म-जागरूक जो आत्म-जागरूक है वो अपनी कमजोरी और ताकत को पहचानेगा उसे मालूम होगा कि इसका दूसरों पर क्या असर होगा. वो आलोचना को सहज ही स्वीकारेगा. स्व प्रेरित पैसे और पद के लिए काम नहीं करते काम की प्रेरणा अंतर में मिलती है विपरीत परिस्थितियों में सकारात्मक रहते हैं. अंदर से प्रेरित होते हैं तभी काम करते हैं.विश्वसनीय लोगों पर भरोसा करते हैं और किसी का भरोसा नहीं तोड़ते। पीठ पीछे बुराई करने से बचते हैं। सभी को सम्मान देते हैं और बदले में सम्मान पाते भी हैं.दुनिया में जितने भी महान लोग हुए हैं उनमें भावनात्मक बुद्धिमत्ता का विशेष प्रभाव रहा है. भारत में हुए अधिकांश संत ,ऋषिगण और जिम्मेदार लोग इमोशनल कोशंट के धनी रहे. पुरानी कहावत भी है कि ‘‘जिसे बोलना आता है उसे सब आता है.‘‘ इसका आशय इमोशनल कोशंट से है. प्रत्येक बात को बेहतर ढंग से केवल ईक्यू वाला व्यक्ति ही रख सकता है. शासकीय सेवा के महत्वपूर्ण पदों के साक्षात्कार में इसी गुण को प्रतिभागी में सर्वाधिक जांचा जाता है. इसमें इमोशनल कोशंट का धनी ही आगे बढ़ सकता है. यही कारण है कि नेता की योग्यता उसकी मात्र बुद्धिमत्ता ही नहीं होती है. वह एक लीडर या कप्तान होकर सभी साथियों को कैसे आगे ले जा पाता है. जिम्मेदारियों और समस्याओं के हल कैस लाता है, इस पर उसकी सफलता सर्वाधिक निर्भर करती है. भारत और विश्व में ऐसे लोगों के कई उदाहरण सिद्ध हुए जिसमें इमोशनल कोशंट के बदौलत सफलता के झंडे गाड़े है .

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