DESK: देश में देवघर ही एकमात्र ऐसा तीर्थस्थल है जहां होली के मौके पर बाबा वैद्यनाथ धाम में हरि और हर, यानी कि, भगवान शिव और भगवान विष्णु का मिलन होता है. यह आलौकिक दृश्य हर साल होलिका दहन की रात में देखने को मिलता है, जिसके गवाह कई भक्तगण बनते हैं. इस अनूठे अनुष्ठान का साक्षी बनने और इस मौके पर हरि और हर पर अबीर गुलाल डालने के लिए दूर दूर से भारी संख्या में भक्त जुटते हैं. एक निश्चित मुहूर्त पर ही यह अनुष्ठान होता है. आमतौर पर यह कार्यक्रम होलिका दहन के बाद और होली की पूर्व संध्या पर किया जाता है.
बाबा नगरी देवघर में रविवार को फागुन पूर्णिमा के अवसर पर यह आलौकिक मिलन होगा. बाबा बैद्यनाथ मंदिर से दोपहर में भगवान विष्णु को पालकी में बैठाकर ढोल बाजे के साथ ले जाया जाएगा. उनपर अबीर गुलाल उड़ाते हुए दोल मंच तक ले जाया जाएगा. शाम में होलिका दहन के बाद भगवान विष्णु को वापस बाबा मंदिर लाया जाएगा और उसके बाद हर और हरि का मिलन कराया जाएगा. इस अवसर का गवाह बनने के लिए पहले से ही बाबा मंदिर में भारी भीड़ जुट गई है.
यह परंपरा आदिकाल से चली आ रही है. देवघर शहर में मान्यता है कि हरि-हर मिलन के दिन अधिकांश लोग मंदिर में अबीर गुलाल डालते है और आपस में मिलते है. दूसरे दिन अपने मित्र व परिजन के संग होली खेलते हैं. कहते हैं कि हरि अर्थात विष्णु का मिलन विधाता के साथ होने से जो वातावरण पैदा होता है वह संसार के लिए एक अद्भुत क्षण होता है. इसके पीछे यह कथा है कि होली की पूर्व संध्या पर ही लंकापति रावण के हाथ से भगवान विष्णु ने शिवलिंग ग्रहण किया था जब वह शिवलिंग को लेकर लंका जा रहे थे. इस एतिहासिक दिन की परंपरा को आज भी देवघर वासी पूरी श्रद्धा के साथ मनाते हैं.