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प्रवासी मजदूरों के सामने बिहार में भुखमरी की नौबत,छोटे छोटे उद्योग धंधे ही अब कर सकतें हैं बचा सकतें है मजलूमों के प्राण: जीतन राम मांझी

प्रवासी मजदूरों के सामने बिहार में भुखमरी की नौबत,छोटे छोटे उद्योग धंधे ही अब कर सकतें हैं बचा सकतें है मजलूमों के प्राण: जीतन राम मांझी

PATNA: पूरे हिदुस्तान में कोरोना संकट में जान बचाने के लिए लोग घरों में बन्द हैं। सरकार के द्वार कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिये लॉक डाउन लगाया गया है तो दूसरी तरफ देश की आर्थिक रीढ़ यानी मेहनतकश मजदूरों का बड़ा तबका भूख से बिलबिलाते,तपती सड़कों पर पर नंगे पैर चलते चलते अपना प्राण गवां रहा है। यह दृश्य देश मे बड़ी बड़ी बातें करने वाली सरकार के लाचार होने की कारुणिक कहानी भी कह रहा है।

 खासकर बिहार जैसे प्रदेश में जहां की श्रम शक्ति की बदौलत देश विकास के सपने देखता है उसका सपना बुरी तरह बिखर चुका है,यहां के करोड़ों श्रमिकों के सामने भुखमरी की नौबत आ चुकी है। उपरोक्त बातें हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने विपक्ष के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग कार्यक्रम के बाद कहीं। 

मांझी ने बताया कि सरकार की संवेदनहीनता की वजह से प्रवासियों के सामने बड़ा संकट पैदा हो गया है। अब  मौका है कि समाज का सक्षम तबका भी मेहनतकश मजदूरों के की जीवन रक्षा करें।

उन्होंने यह भी कहा कि लॉक डाउन में सरकार की अदूरदर्शिता ने देश को आर्थिक रूप से तोड़ दिया है। इसका सबसे ज्यादा असर मजदूरों पर पड़ा है। सड़कों पर पैदल और रेलगाड़ियों से अपने प्रदेश के लिये निकल रहे प्रवासियों का जत्था 1947 के बंटवारे के दृश्य को दुहराने लगता है। बस यहां हिंसा नहीं है लेकिन भूख से मरते लोग और हालात उसी दृश्य को दोहरा रहा है। आज जरूरत है कि छोटे छोटे उद्योग धंधे की शुरुआत बिहार में तेजी से किया जाय । क्योंकि वही अब मजदूरों के लिये वरदान साबित हो सकता है।

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