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ज्ञानपीठ पुरस्कारों की हुई घोषणा, जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संस्कृत और गीतकार गुलजार को उर्दू के लिए मिला सम्मान

ज्ञानपीठ पुरस्कारों की हुई घोषणा, जगद्गुरु रामभद्राचार्य को संस्कृत और गीतकार गुलजार को उर्दू के लिए मिला सम्मान

NEW DELHI : ज्ञानपीठ पुरस्कार समिति द्वारा इस साल के ज्ञानपीठ पुरस्कार विजेताओं के नामों की घोषणा कर दी गई है। जिसमें प्रसिद्ध उर्दू कवि गुलजार और संस्कृत विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। ज्ञानपीठ चयन समिति ने एक बयान में कहा, "यह पुरस्कार (2023 के लिए) दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों को देने का निर्णय लिया गया है।  वर्ष 2022 के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार गोवा के लेखक दामोदर मावजो को दिया गया।

दरअसल, गुलजार हिंदी सिनेमा में अपने काम के लिए तो जाने जाते ही ही हैं. साथ ही इस युग के बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक भी माने जाते हैं. इससे पहले उन्हें 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम पांच राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिल चुके हैं। उर्दू कवि गुलजार के कुछ उल्लेखनीय रचनाओं में फिल्म स्लमडॉग मिलियनेयर का गीत जय हो शामिल है, जिसने 2009 में ऑस्कर और 2010 में ग्रैमी पुरस्कार जीता था।

वहीं चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य एक प्रसिद्ध संस्कृत विद्वान, शिक्षक और 100 से अधिक पुस्तकों के लेखक हैं. 1950 में यूपी के जौनपुर के खांदीखुर्द गांव में जन्मे रामभद्राचार्य रामानन्द सम्प्रदाय के वर्तमान चार जगद्‌गुरु रामानन्दाचार्यों में से एक हैं. वह 1988 से इस पद पर बने हुए हैं. वे 22 भाषाएं बोलते हैं और संस्कृत, हिन्दी, अवधी, मैथिली समेत कई भाषाओं के रचनाकार हैं. 2015 में भारत सरकार ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया था.

साल 1944 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार, भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष अवॉर्ड देता है. इस वर्ष यह पुरस्कार संस्कृत में उत्कृष्टता के लिए दूसरी बार और उर्दू के लिए पांचवीं बार प्रदान किया जा रहा है.

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