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जज साहब ! मुझे मेरी बीबी से बचाओ, और- सुहागरात के दिन जो हुआ उसकी सच्चाई जानकर कोर्ट हुआ हैरान

जज साहब ! मुझे मेरी बीबी से बचाओ, और- सुहागरात के दिन जो हुआ उसकी सच्चाई जानकर कोर्ट हुआ हैरान

दिल्ली. एक लड़के की शादी तय होती है. विधि-विधान से लड़के की लड़की से शादी होती है लेकिन जब सुहागरात की बारी आती है तो लड़की अचानक से लड़के में तब्दील हो जाती है. किसी भुतहा कहानी से लगने वाला यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच चुका है. और मामले को जानकर अब जज भी हैरान हैं कि आखिर लड़की का सूरत नहीं बदल रहा लेकिन वह लड़का कैसे बन जा रही है. 

दरअसल, लड़की के लड़का बन जाने का यह पूरा मामला वैवाहिक धोखाधड़ी से जुड़ा है. अब न्याय की गुहार लगाते हुए पीड़ित लड़का खुद को उस लड़की से लड़के में बदलने वाली ‘पत्नी’ से बचाने की याचना कर रहा है. कोर्ट ने हैरान करने वाले इस मामले को जानने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट इसके लिए सहमत हो गया कि निश्चय ही कथित पत्नी पर धोखाधड़ी के लिए आपराधिक मुकदमा चलाया जाना चाहिए, क्योंकि उसके पास पुरुष जननांग हैं. 

लड़की के लड़के में बदलने यानी पुरुष जननांग होने का यह मामला मध्य प्रदेश के ग्वालियर से जुड़ा है. पीड़ित ने आरोप लगाया था कि उसकी शादी 2016 में हुई थी. लेकिन शादी के तत्काल बाद उसे पता चला कि उसकी पत्नी औरत नहीं, एक मर्द है. उसके पास पुरुष जननांग हैं. यानी वो इस शादी के लिए पूरी तरह से अक्षम है।. उन दोनों के बीच शारीरिक संबंध नहीं बन सकते हैं. पीड़ित ने कथित पत्नी और उसके पिता के खिलाफ FIR दर्ज कराने के लिए अगस्त 2017 में मजिस्ट्रेट से संपर्क किया था.


वहीं बाद में यह मामला मई 2019 में सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई करने में अनिच्छा जताई थी, लेकिन न्यायमूर्ति संजय किशन कौल और एमएम सुंदरेश की पीठ ने आरोपी पत्नी से जवाब अवश्य मांगा था. तब पीड़ित ने कोर्ट के सामने पत्नी की मेडिकल रिपोर्ट पेश की. इसमें बताया गया कि उसकी पत्नी के पास एक पुरुष लिंग और अविकसित हाइमन  है. अविकसित हाइमन एक जन्मजात विकार है. यह महिला जननांग को बाधित करत है. पीड़ित के वकील सीनियर एडवोकेट एनके मोदी ने बेंच को बताया कि भारतीय दंड संहित की धारा 420 के तहत यह एक आपराधिक मामला है, क्योंकि पत्नी एक पुरुष निकली है.

वहीं इसके पूर्व जून, 2021 में मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के उस आदेश को  रद्द कर दिया था, जिसमें धोखाधड़ी के आरोपों पर संज्ञान लेते हुए पत्नी को सम्मन जारी किया गया था. पीड़ित के वकील मोदी तब हाईकोर्ट के इसी आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं. उन्होंने बेंच के सामने दलील दी कि पीड़ित के पास पर्याप्त सबूत हैं, जो साबित करते हैं कि अपूर्ण हाइमन के कारण उसकी पत्नी को महिला नहीं कहा जा सकता है. अब सुप्रीम कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा. शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय ने अपने निर्देश में कहा कि धोखाधड़ी के इस मामले की कोर्ट सुनवाई करेगा. 


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