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न्यायिक व्यवस्था! 1982 में हुई हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा, मामले में पांच आरोपी पहले ही दुनिया से हो गए विदा

न्यायिक व्यवस्था! 1982 में हुई हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा, मामले में पांच आरोपी पहले ही दुनिया से हो गए विदा

AURANGABAD : देश की न्यायिक व्यवस्था को लेकर कहा जाता है कि यहां फैसले आने तक लोग दुनिया तक छोड़ देते हैं, पीढ़ियां बदल जाती हैं। औरंगाबाद जिला कोर्ट में ऐसा ही एक मामला सामने आया है। जहां लगभग 40 साल पहले हुए एक गांव में जमीन विवाद को लेकर हुई हत्या के मामले में दो बुजुर्ग आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। दोनों बुजुर्गों की उम्र 75 और 88 साल है। वहीं इसी मामले में सजा होने से पहले ही पांच नामजद आरोपियों की मौत भी हो गई है।

क्या था मामला

मदनपुर थाना क्षेत्र के सरैया गांव निवासी सुदर्शन सिंह ने छह दिसंबर 1982 को इस हत्याकांड को लेकर प्राथमिकी दर्ज कराई थी। उन्होंने कहा कि प्राथमिकी के अनुसार, घटना वाले दिन सरैया गांव निवासी जयराम सिंह, रामनरेश सिंह, रामप्रवेश सिंह, अरबिंद सिंह खेत में धान की कटाई कर रहे थे। इसी दौरान वार गांव के निवासी नागदेव मिस्त्री, जगदेव मिस्त्री, बैचु मिस्त्री, अभिलाख मिस्त्री, मोती मिस्त्री, रामदेव मिस्त्री और जुठी प्रजापति ने उन पर जानलेवा हमला कर दिया था।

बबन प्रसाद ने बताया कि इस हमले में जयराम सिंह गंभीर रूप से घायल हो गए थे, जिनकी डेहरी के एक अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। अधिवक्ता सतीश कुमार स्नेही ने बताया कि इस मामले में कुल आठ गवाहों ने गवाही दी थी। जमीन से जुड़े विवाद को लेकर यह घटना घटी थी। मामले में पांच फरवरी 1983 को कोर्ट में आरोप तय किए गए थे।

अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश-12 धनंजय कुमार मिश्रा की अदालत ने गुरुवार को 40 वर्ष पुराने मदनपुर थाना क्षेत्र के सरैया गांव निवासी जयराम सिंह की हत्या के मामले में मदनपुर थाना क्षेत्र में हुए इस हत्याकांड के प्रकरण में सजा पर सुनवाई करते हुए के वार गांव निवासी 88 वर्षीय जगदेव मिस्त्री और 75 वर्षीय अभिलाख मिस्त्री को उम्र कैद की सजा सुनाई। कोर्ट ने हत्या की धारा 302/149 में आजीवन कारावास के अलावा 25 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है। जुर्माना नहीं देने पर आरोपियों को एक वर्ष अतिरिक्त साधारण कारावास की सजा भी काटनी होगी।

मामले की पैरवी से जुड़े अपर लोक अभियोजक (एपीपी) बबन प्रसाद ने बताया कि इस मामले में कुल सात आरोपी थे। इनमें से पांच आरोपियों की सुनवाई के दौरान मौत हो चुकी है। ऐसे में कोर्ट ने शेष बचे दो बुजुर्ग आरोपियों को यह सजा सुनाई है।


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