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जूली नेआखिरकार मटुकनाथ को छोड़ा

जूली नेआखिरकार मटुकनाथ को छोड़ा

News4Nation:एक दशक पहले ही 64 साल के प्रफेसर मटुकनाथ चौधरी  ने अपनी शिष्या जूली कुमारी को अपने जीवन का प्यार बताते हुए उनके साथ जीने मरने की कसम खा ली थी ... हालांकि मटुकनाथ की यह शिष्या और उनके जीवन के प्यार ने इन दिनों अध्यात्म का रुख कर लिया है और प्रेम के लिए चर्चित 'लव गुरु' फिर से अकेले हो गए हैं 

इस बारे में मटुकनाथ से पूछने पर उन्होंने कहा, 'कोई नहीं जानता कि परिस्थितियां कब बदल जाएं। हमारे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। हम करीब दस साल तक साथ रहे। फिर अचानक जूली का सांसारिक मोह-माया से लगाव हटने लगा।' बता दें कि मटुकनाथ की जूली से मुलाकात 2004 में हुई थी जब वह 51 साल के थे और जूली 21 साल की थीं। दो साल बाद उनके प्यार की सुर्खियां अखबारों और टीवी न्यूज चैनल्स की हेडलाइन बनने लगी और पटना के बीएन कॉलेज में हिंदी प्रोफेसर मटुकनाथ चौधरी मुश्किलों से घिर गए।  

बीएचयू और जेएनयू जैसी प्रतिष्ठित यूनिवर्सिटी की डिग्रीहोल्डर जूली को करीब चार साल पहले अध्यात्म में रुचि आई। इसके बाद उन्होंने पुड्डुचेरी, ऋषिकेश, पुणे में ओशो आश्रम में समय बिताना शुरू कर दिया।  

मटुकनाथ को 2013 में जब यूनिवर्सिटी ने उन्हें निलंबनकाल का उनका बकाया वेतन करीब 20 लाक रुपये सौंपा तो उन्होंने जूली को वैलंटाइंस डे के दिन 6.3 लाख की कार गिफ्ट की थी। मटुकनाथ अब पटना के शास्त्रीनगर में एक अपार्टमेंट में अकेले रह रहे हैं और अक्टूबर में पटना यूनिवर्सिटी से रिटायर हो चुके हैं । उन्होंने अपने रिटायरमेंट के बाद का प्लान भी बनाया है। प्रोफेसर  ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद वह भागलपुर जिल में अपनी प्रेम पाठशाला खोलेंगे और स्टूडेंट्स को प्यार और विश्वास का पाठ पढ़ाएंगे।  

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