पटना.... बिहार में जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ा गई है। लगातार आठवें दिन जारी हड़ताल के कारण राज्य के मेडिकल कॉलेजों से पलायन जारी है तो वहीं सबसे ज्यादा पीएमसीएच में हड़ताल का असर दिख रहा है। पीएमसीएच में हड़ताल के दौरान लगभग 11 मरीजों की मौत हो गई है, जबकि 400 से ज्यादा मरीज पलायन कर चुके हैं। अस्पताल के इमरजेंसी में भी भगवान भरोसे ही मरीजों का इलाज चल रहा है। राज्य के 1300 जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं तो वहीं पीएमसीएच में 600 डॉक्टर हड़ताल पर हैं। स्टाइपेंड में बढ़ोतरी को मांग को लेकर बिहार में 8वें दिन भी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल है।
जानकारों की मानें तो स्वास्थ्य विभाग जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त कराने को लेकर उदासीन बना हुआ है। राज्य के सभी मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में 8 दिनों से जारी जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल खत्म कराने को लेकर अब तक विभाग की ओर से कोई पहल नहीं की गई है। विभाग चाहता है कि मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य अपने स्तर पर जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल समाप्त करने को लेकर कार्रवाई करे। इसके लिए विभागीय अधिकारियों द्वारा मौखिक रूप से लगातार मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य व अधीक्षकों को निर्देश दिए जा रहे हैं।
वहीं मेडिकल कॉलेज अस्पतालों के प्राचार्य विभाग द्वारा कोई लिखित आदेश जारी नहीं होने से किसी प्रकार की कार्रवाई करने में असमर्थता जता रहे हैं। प्राचार्य का मानना है कि जूनियर डॉक्टरों पर कार्रवाई किए जाने से सीधे उनके निशाने पर आ जाएंगे। इधर, हड़ताल के कारण लगातार आठवें दिन भी अस्पतालों में मरीज परेशान रहे और इलाज के दौरान इधर-उधर भटकते रहे।
मरीजों के मुताबिक सीनियर डॉक्टर भी वार्डों में 24 घंटे में एक बार आते हैं और बहुत तेजी में हालचाल लेकर निकल जा रहे हैं। मरीजों की समस्याएं बढ़ रही हैं। इलाज बुरी तरह प्रभावित है। जूनियर डॉक्टर को मनाने के लिए पीएमसीएच प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारी भी लगे हुए हैं, लेकिन बिना उचित आश्वासन के जूनियर डॉक्टरों ने काम पर लौटने से साफ इनकार कर दिया है।