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अस्‍पतालों में समुचित व्‍यवस्‍था के बिना नीतीश कुमार ने लिया दहशत फैलाने वाला फैसला

अस्‍पतालों में समुचित व्‍यवस्‍था के बिना नीतीश कुमार ने लिया दहशत फैलाने वाला फैसला

PATNA : जनतांत्रिक विकास पार्टी के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष अनिल कुमार ने आज कोरोना वायरस के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए राज्‍य सरकार द्वारा सरकारी व निजी स्कूलों तथा कॉलेज व कोचिंग संस्थानों को 31 मार्च तक बंद करने के फैसले पर एतराज जताया। उन्‍होंने आज पटना में प्रेस कांफ्रेंस कर मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार के इस फैसले को दहशत फैलाने वाला फैसला बताया। उन्‍होंने कहा कि एहतियात के तौर पर सूबे के सभी महत्‍वपूर्ण संस्थानों को बंद करने का फैसला समझ से परे है, जबकि इससे बचाव के लिए न तो प्रदेश का कोई अस्‍पताल तैयार है और न ही प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों की स्‍कैनिंग रेलवे, हवाई अड्डे और बस अड्डे पर हो रही है।

उन्‍होंने कहा कि कोरोना से बचने के लिए सबसे पहला कदम उठाते हुए अस्‍पतालों में इसकी व्‍यवस्‍था करना था, लेकिन सरकार के घोषणा के बाद पीएमसीएच में डॉक्‍टरों से हाथापाई की नौबत आ गई। डॉक्‍टरों ने कहा कि इमरजेंसी के पास कोरोना वायरस के लिए वार्ड नहीं हो सकता है। फिर कहीं और शिफ्ट कर दिया गया। उन्‍होंने राजेंद्र मेमोरियल अस्‍प्‍ताल में फोन कर कोरोना के इलाज के लिए जब पूछा तो अस्‍पताल प्रबंधन ने बताया कि मरीजों की जांच उनके यहां नहीं हो सकती। सैंपल पीएमसीएच और एनएमसीएम में ही देने होंगे। तभी यहां जांच हो सकेगा। अनिल कुमार ने कहा कि राज्‍य सरकार को कोरोना से बचाव के लिए सबसे पहले अस्‍पतालों में वार्ड बनाना चाहिए था और समुचित व्‍यवस्‍था करनी चाहिए थी।


उन्‍होंने कहा कि प्रदेश में कोरोना से बचाव के लिए मास्‍क और सेनेटाइजर नहीं मिल रहा है। अस्‍पताल तो छोडि़ए, अगर आप अपने पैसे से भी ये चीजें खरीदने चाहें, तो मिलना मुश्किल है। उन्‍होंने कहा कि बिना किसी व्‍यवस्‍था के लिए पूरे प्रदेश में बंदी करा देना और कई जिलो में धारा 144 लगा देना अंधेर नगरी चौपट राजा जैसा कदम है। क्‍योंकि वैसे ही राज्‍य की अर्थ व्‍यवस्‍था डंवाडोल है। फिर इस तरह के फैसले से नीतीश कुमार क्‍या साबित करना चाहते हैं।

अनिल कुमार ने कहा कि कोरोना वायरस बाहर से फैल रहा है। तो इसके लिए प्रदेश के रेलवे स्‍टेशनों, बस अड्डों और हवाई अड्डे पर स्‍कैनिंग सेंटर होना चाहिए था, जैसा कि दूसरे राज्‍यों में है। लेकिन बिहार में ऐसा कुछ भी नहीं है और न ही अस्‍पतालों में कितने मरीजों के जांच के लिए बेड की व्‍यवस्‍था की गई है, इसकी जानकारी सूबे के मुख्‍यमंत्री और स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री ने देनी जरूरी नहीं समझी। इसलिए हमारा मानना है कि प्रदेश की सरकार ने कोरोना के जरिये बंद कर अपना पीठ थपथपाने का काम किया है, जो बिलकुल गलत है। आज प्रदेश का एक भी अस्‍पताल ऐसा नही है, जहां इसका पूरी तरह से जांच हो सके।     

अंत में उन्‍होंने पूछा कि कोरोना वायरस से बचाव के लिए राज्‍य सरकार ने अब तक जागरूकता के लिए कोई अभियान क्‍यों नहीं चलाया ? प्रदेश में बाहर से आने वाले लोगों की स्‍कैनिंग के लिए क्‍या कदम उठाये गए हैं और कहां – कहां स्‍कैनिंग हो रही, राज्‍य सरकार इसकी जानकारी जनता को क्‍यों नहीं दे रही है ? और, राज्‍य सरकार को यह भी बताना चाहिए कि कोरोना से जांच के लिए राज्‍य के किन – किन अस्‍पतालों में कितने बेड की व्‍यवस्‍था की गई है ? वहीं, संवाददाता सम्‍मेलन में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार मंडल, तकनीकी प्रकोष्ठ अध्यक्ष ई.रवि प्रकाश, प्रदेश उपाध्यक्ष प्रशांत प्रियदर्शी और मनोज उजाला भी उपस्थित रहे।

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