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जयंती पर याद किये गए मगही के कबीर मथुरा प्रसाद नवीन, केंद्र सरकार से पद्मश्री देने की लोगों ने की मांग

जयंती पर याद किये गए मगही के कबीर मथुरा प्रसाद नवीन, केंद्र सरकार से पद्मश्री देने की लोगों ने की मांग

LAKHISARAI : साहित्य सृजन को ही अपना धरोहर समझने वाले मगही के कबीर मथुरा प्रसाद नवीन की 94वी जयंती सादे समारोह के बीच मनाई गई। कहते हैं कि तेजाब रूपी स्याही से नंगा सच लिखने वाले मथुरा प्रसाद नवीन को त्वरित कविता गढ़ने में महारथ प्राप्त था। बड़हिया के रामचरण टोला निवासी रहे नवीन के जन्म जयंती के विशेष मौके पर नवीन चेतना समिति के सदस्यों द्वारा एनएच 80 किनारे स्थित उनके आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया। मौके पर उपस्थित समिति के सदस्यों द्वारा उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डाला गया।

कवि नवीन पद्मश्री के हकदार 

नवीन चेतना समिति के जुझारू व कर्मठ सदस्य सौरव कुमार ने मगही शब्द की शाब्दिक विवेचना करते हुए कविवर नवीन के कृति पर प्रकाश डाला। साथ ही उनके लिए केंद्र सरकार द्वारा मरणोपरांत पद्मश्री के सम्मान से नवाजे जाने पर बल दिया। समिति सदस्यों ने संयुक्त रूप से इसके लिए आवश्यक प्रक्रियाएं अपनाने का संकल्प लिया। साथ ही राज्य सरकार से भी मांग किये जाने पर बल दिया गया। ताकि विभिन्न भाषाई कवियों के नाम के अनुरूप राजधानी पटना के किसी चौक -चौराहे का नाम कवि नवीन के नाम पर किया जाना चाहिए। अथवा प्रतिमा स्थापित किया जाना चाहिए। कवि नवीन को प्राप्त होने वाले इस सम्मान से न सिर्फ मगही भाषी बल्कि हर मगधवासी स्वयं को सम्मानित महसूस करेंगे। विदित हो कि कवि नवीन द्वारा रचित पुस्तको में शामिल आखिर कहिया तक, रुदन का गान, पानी का बुलबुला, चुनाव का हुड़दंग आदि पुस्तकों को आज भी विवि के पाठ्यक्रम में प्रयोग किया जा रहा है। अन्य वक्ताओं ने भी अपनी बातों को रखते हुए कहा कि मगही के कबीर से आख्यादित नवीन जी का जीवन युवाओ के लिए प्रेरणा परक है।

त्वरित कविताओं को गढ़ने वालों में शुमार रहे हैं नवीन

समिति के वरिष्ठ सदस्य एवं नवीन जी के सानिध्यता को प्राप्त किये कृष्णमोहन सिंह ने उन्हें याद करते हुए कहा कि कवि नवीन के लिए साहित्य ही सबसे बड़ा धरोहर था। जिसके संरक्षण में वे जीवन पर्यंत जुटे रहे। निर्धनता के बीच भी वे साहित्य को जीने वालों में शामिल रहे थे। नवीन को ‘मगही के कबीर’ की उपमा देने वाले महादेवी प्रसाद वर्मा, सूर्यकांत त्रिपाठी निराला और बाबा नागार्जुन ही नहीं बल्कि राष्ट्रकवि दिनकर, और गोपाल सिंह नेपाली सरीखे अन्य कवि उनके करीबी मित्र रहे हैं।


लखीसराय से कमलेश की रिपोर्ट 

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