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पल्स ऑक्सीमीटर कैसे करता है काम,कोरोना में कैसे रखता है आपका ख्याल,कितने ऑक्सीजन लेवल तक आप हैं सुरक्षित

पल्स ऑक्सीमीटर कैसे करता है काम,कोरोना में कैसे रखता है आपका ख्याल,कितने ऑक्सीजन लेवल तक आप हैं सुरक्षित

DESK : देश में एक बार फिर कोरोना तेजी से पाँव पसार रहा है. करीब दो लाख से अधिक लोग रोज कोरोना की चपेट में आ रहे है. हालाँकि केंद्र और राज्य सरकार की ओर से कई गाइडलाइन जारी किये गए हैं. इसके बावजूद कोरोना की रफ़्तार में कोई कमी नहीं आई है. देश के कई हिस्सों से अस्पतालों में बेड नहीं मिलने की खबरें आ रही हैं. ऐसे में लोगों के बीच डर का माहौल बन रहा है. हालांकि जरूरत कोरोना से डरने के बजाय कोरोना से लड़ने की है. पल्मोनरी डिजीज एक्सपर्ट डॉक्टर बताते हैं कि संक्रमित होने वाले हर मरीज को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत नहीं होती. देशभर में लाखों कोरोना मरीज होम आइसोलेशन में हैं. दवाओं के जरिये वे ठीक भी हो जा रहे हैं. फिर किन लोगों को अस्पताल में भर्ती होने की जरूरत है? यही वो सवाल है, जिसके बारे में जानकारी होनी जरूरी है. विशेषज्ञ चिकित्सक ने बताया था कि कोरोना का संक्रमण अगर फेफड़े तक पहुंचता है, तो मरीज को सांस लेने में परेशानी हो सकती है. उनके शरीर में अगर ऑक्‍सीजन लेवल कम होता है, तो डॉक्टर को सूचित करना चाहिए और उनकी सलाह पर मरीज को अस्पताल या क्लिनिक ले जाना चाहिए. अब यहीं से सवाल उठता है कि ऑक्‍सीजन लेवल सही है या नहीं…. यह कैसे पता चलेगा? इसी का जवाब है ऑक्‍सीमीटर … पल्स ऑक्सीमीटर.आज हम आपको बताते है की ऑक्सीमीटर क्या होता है और यह कहाँ मिलता है?

ऑक्सीमीटर होता क्या है?

पल्स ऑक्सीमीटर डिजिटल डिस्प्ले वाली एक छोटी सी डिवाइस मशीन होती है. इसे पीपीओ यानी पोर्टेबल पल्स ऑक्सीमीटर भी कहा जाता है. पेपर या क्लोथ क्लिप की तरह इसे पीछे से दबा कर मरीज की उंगली में फंसाई जाती है. फंसाने से पहले या बाद इसे ऑन करना होता है. इस डिवाइस की मदद से मरीज की नब्ज और खून में ऑक्सीजन लेवल का पता चलता है. डिजिटल डिस्प्ले में इसकी रीडिंग दिख जाती है. इसके जरिये कोरोना के मरीज कुछ घंटों या नियमित अंतराल पर अपना ऑक्सीजन लेवल चेक कर सकते हैं.


कैसे काम करती है मशीन?

पल्स ऑक्सीमीटर ऑन करने पर अंदर की ओर एक लाइट जलती हुई दिखती है. यह आपकी त्वचा पर लाइट छोड़ता है और ब्लड सेल्स के रंग और उनके मूवमेंट को डिटेक्ट करता है. आपके जिन ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन ठीक मात्रा में होती है वे चमकदार लाल दिखाई देती हैं जबकि बाकी हिस्सा गहरा लाल दिखता है. बढ़िया ऑक्सीजन मात्रा वाले ब्लड सेल्स और अन्य ब्लड सेल्स यानी कि चमकदार लाल और गहरे लाल ब्लड सेल्स के अनुपात के आधार पर ही ऑक्सीमीटर डिवाइस ऑक्सीजन सैचुरेशन को प्रतिशत में कैलकुलेट करती है और डिस्प्ले में रीडिंग बता देती है. अगर डिवाइस 96 फीसदी की रीडिंग दे रही है तो इसका मतलब है कि महज 4 फीसदी रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन नहीं है. इस डिवाइस के जरिये मरीज की ब्लड लेने की जरूरत भी नहीं पड़ती है.

ऑक्‍सीजन लेवल कितना होना चाहिए?

स्वस्थ्य सामान्य व्यक्ति के ब्लड में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होता है. 95 फीसदी से कम ऑक्सीजन लेवल इस बात का संकेत है कि उसके फेफड़ों में किसी तरह की परेशानी है. अब सवाल यह है कि कोरोना की स्थिति में आखिर कब अस्पताल ले जाने की जरूरत होगी! इस बारे में विशेषज्ञ बताते हैं कि ऑक्सीजन लेवल 92 फीसदी से नीचे हो तो समझिए व्यक्ति की स्थिति गंभीर है और उसे अस्पताल ले जाना चाहिए. उसे ऑक्सीजन सपोर्ट की जरूरत पड़ने की संभावना रहती है. हालांकि यह मानक सामान्य व्यक्ति के लिए है. पहले से किसी बीमारी के मरीज में स्थिति अलग हो सकती है, जिसके लिए डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए.

कोरोना की जांच नहीं करती है मशीन!

शरीर में ऑक्सीजन लेवल कई कारणों से कम हो सकता है. ऑक्सीजन लेवल कम होने का मतलब यही नहीं कि आपको कोरोना है. डॉ हेंसन के मुताबिक, यह डिवाइस ये नहीं बताती कि किसी को कोरोना है या नहीं. कोरोना मरीजों की मॉनिटरिंग में यह डिवाइस मदद करती है. इससे यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज को अस्पताल जाने की जरूरत है या नहीं. अगर मरीज खुद को स्वस्थ महसूस कर रहा है तो उसका ऑक्सीजन लेवल ठीक हो सकता है.

कहां से खरीदें, कितनी है कीमत?

अबतक आपको यह समझ में आ ही गया होगा कि पल्स ऑक्सीमीटर का क्या महत्व है! अब आपको यह बता दें कि इसकी कीमत बहुत ज्यादा नहीं होती. यह 400 रुपये से लेकर 4000 रुपये तक के रेंज में उपलब्ध है. आपके नजदीकी दवा दुकानों में मेडिकल इक्विपमेंट की दुकानों में यह मिल सकता है. अगर नहीं मिल रहा तो आपके पास ऑनलाइन खरीदने का ऑप्‍शन है. आप फ्लिपकार्ट, अमेजॉन वगैरह से इसे ऑर्डर कर सकते हैं.

कोरोना काल में बढ़ गया है महत्व

सामान्यत: इसका इस्तेमाल सर्जरी के बाद मरीजों की मॉनिटरिंग करने में होता है. हालांकि सांस की बीमारियों जैसे दमा, एस्नोफीलिया वगैरह से जूझ रहे मरीज भी इसे अपने घर में रखते हैं. पल्स ऑक्सीमीटर का डेटा ही यह बताता है कि मरीज को अतिरिक्त ऑक्सीजन की जरूरत तो नहीं पड़ने वाली! कोरोना काल में इस मशीन का महत्व बढ़ गया है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन भी कह चुके हैं कि इसकी मदद से कोरोना मरीजों का अर्ली डायग्नोसिस हो सकता है, जिससे मृत्यु-दर कम की जा सकती है.इस तरह आज ऑक्सीमीटर की जरुरत लगभग किसी को है. इस मशीन के साथ होने से आप अपना ऑक्सीजन लेवल हमेशा जांच कर सकते हैं. 


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