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'रांड, सांड, सीढ़ी, सन्यासी’ वाले काशी को मिलने वाली है नई पहचान ... शुरू हो रहा है सबसे बड़ा मुक्ति अभियान

'रांड, सांड, सीढ़ी, सन्यासी’ वाले काशी को मिलने वाली है नई पहचान ... शुरू हो रहा है सबसे बड़ा मुक्ति अभियान

DESK. 'रांड, सांड, सीढ़ी, सन्यासी- इनसे बचे तो सेवे काशी’ ... वाराणसी को लेकर लोक प्रचलित इस कहावत में हालिया वर्षों के दौरान इन चार के अतिरिक्त एक और नाम भिखारी भी जुड़ गया है। काशी में बड़ी संख्या में भिखारियों की संख्या है जो शहर के हर इलाके में भीख मांगते दिख जाते हैं। लेकिन, काशी में अब ऐसा नहीं होगा। उत्तर प्रदेश के बनारस को खूबसूरत और पर्यटकों के लिए आकर्षित जगह बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन सरकार के साथ मिलकर लगातार काम कर रहा है। इस दिशा में काम करते हुए अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र को सुंदर बनाने की कवायद जारी है, जिसमें अब भिखारियों से शहर को मुक्ति दिलाई जाएगी।

आमतौर पर बनारस जाने पर पर्यटकों के पीछे भारी संख्या में भिखारी पड़ जाते है। वहीं जी20 सम्मेलन के बनारस में होने वाले आयोजन को लेकर भी तैयारियां हो रही है। इसी दिशा में अब बनारस को भिखारी मुक्त बनाया जाएगा। इसे लेकर स्थानीय प्रशासन ने "भिक्षावृत्ति मुक्त काशी" अभियान की शुरुआत की है।

इस अभियान के संदर्भ में जिला मजिस्ट्रेट एस राजलिंगम ने बताया कि हम काशी में मौजूद भिखारियों की तीन श्रेणियों में पहचान करेंगे। इन सभी की पहचान कर भिक्षावृत्ति को समाप्त करने की कवायद शुरू की जाएगी। रणनीति के मुताबिक पर्यटक स्थलों, मंदिरों आदि के आस पास मौजूद भिखारियों को हटाया जाएगा। इसके साथ ही शहर की प्रमुख सड़कों और चौराहों पर भी भिखारी आने वाले समय में दिखाई नहीं देंगे।

स्थानीय इलाकों को भिखारी मुक्त बनाने के लिए जिला प्रशासन ने एनजीओ, वाराणसी नगर निगम, पुलिस समेत कई संगठनों के साथ मिलकर अभियान चलाने का फैसला किया है। इसे भिक्षावृत्ति निषेध अधिनियम, 1975 के प्रावधानों के तहत शुरू किया गया है। शुरुआत में निराश्रितों को हटाया जाएगा। इसके बाद भीख मांगने में लिप्त संगठित रैकेट के सदस्य और गरीब लोगों को रखा गया है, जो आजीविका कमाने के लिए विभिन्न गतिविधियों में लगे रहते हैं और विशेष अवसरों पर भीख मांगने के लिए मंदिर शहर में आते हैं।"


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