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केला उत्पादन में फिर से अपनी पहचान बनाने की कोशिश में जुटा कटिहार, कभी एक बीमारी ने बर्बाद कर दिया था पूरा कारोबार

केला उत्पादन में फिर से अपनी पहचान बनाने की कोशिश में जुटा कटिहार, कभी एक बीमारी ने बर्बाद कर दिया था पूरा कारोबार

KATIHAR : कभी केला उत्पादन के मामले में दबदबा रखने वाले कटिहार की पहचान केलाअंचल के रूप में हुआ करता था मगर पनामा विल्ट नामक बीमारी ने केला के किसानों को इस तरह परेशान किया किस इलाके के किसान केला के खेती से मुंह मोड़ने को विवश हो गए थे पर अब एक बार फिर नेशनल रिसर्च ऑफ बनाना(केला) तमिलनाडु त्रिचूर से आए वैज्ञानिकों के शोध के माध्यम से इस बीमारी से निजात दिलाने की कोशिश को लेकर कटिहार के केला किसानों में नई उम्मीद जगी है। एक बार फिर से यहां केला की खेती से किसान जुड़ रहे हैं।

कम मेहनत अधिक मुनाफा और मौसम भी केला उत्पादन के अनुकूल होने के कारण कटिहार के बड़े पैमाने पर किसान केला की खेती करते थे, खासकर कोढ़ा, कुर्सेला, बरारी, फलका,सेमापुर के इस इलाके में केला की खेती के देखते हुए इस इलाके की पहचान केलाअंचल के रूप में विकसित होने लगा था मगर अचानक पिछले कुछ सालों से लगातार पनामा विल्ट नामक बीमारी कटिहार की केलाआंचल में कहर मचा दिया, जिस कारण मजबूरी में किसान केला की खेती से मुंह मोड़ लिया, किसानों के माने तो यहां की बड़ी आबादी अब केला पर आश्रित है मगर अचानक केला आने से पहले ही फंगस लगने से पूरा पेड़ सूख कर धराशाई हो जाने से बहुत नुकसान हुआ है और घर परिवार चलाने तक पर आफत आ गया है, वैसे केला की खेती किसानों के लिए इसलिए भी आकर्षण का केंद्र था क्योंकि यह पारंपरिक खेती से अधिक मुनाफा देता था और स्थानीय बाजार से लेकर महानगरों के बाजार तक इस इलाके की केला की बड़ा मांग है 

हालांकि इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार के निर्देश पर नेशनल रिसर्च ऑफ बनाना(केला)पर शोध करने आए वैज्ञानिकों के द्वारा इस बीमारी से केला किसानों को निजात दिलाने के भरोसे पर एक बार फिर केला किसानों की उम्मीद जगी है, इससे पहले 350 से अधिक केला की वैरायटी पर इस इलाके में शोध हो चुका है और इस बार भी किसानों के इस परेशानी से बचाने के लिए डेढ़ सौ से अधिक केला पर इस इलाके में ही शोध हो रहा है ताकि केला किसानों को पनामा बिल्ट बीमारी से निजात मिल पाए।  वहीं तमिलनाडु त्रिचूर केला अनुसंधान केंद्र से आए वैज्ञानिक ने कहा कि यह एक तरह का फंगस है, यह उत्तर प्रदेश और बिहार के इस इलाके में केला खेती करने वाले खेतों के लिए बड़ा परेशानी की बजह है, वे लोग लगातार इस पर शोध कर रहे हैं और जल्द इस पर ठोस निदान निकलेगा।

निश्चित तौर पर इस इलाके के किसानों के लिए केला की खेती हमेशा फायदेमंद साबित हुआ है लेकिन पिछले कुछ सालों से पनामा विल्ट नामक बीमारी ने केला किसानों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया है, उम्मीद है कि वैज्ञानिकों के शोध में जल्द सकारात्मक नतीजा सामने आएगा जिससे एक बार फिर इस इलाके की केला की खेती करने वाले किसानों की मुस्कान वापस लौटेगा।


श्याम की रिपोर्ट

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