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Katihar News : 10₹ के लिए आलू के खेत में ट्रैक्टर के पीछे भाग रहे बच्चे, इस जिले में बाल श्रम कानून कागजों में सिमटी

Katihar News : 10₹ के लिए आलू के खेत में ट्रैक्टर के पीछे भाग रहे बच्चे, इस जिले में बाल श्रम कानून कागजों में सिमटी

कटिहार। (Katihar News)  महज 10रु के लिए जान जोखिम में डालकर आलू खेत में ट्रैक्टर के आगे पीछे दौड़ दौड़ कर आलू चुनने के रोजगार से जुड़े हुए हैं दर्जनों बच्चे, मजबूरी और घर में आर्थिक तंगी के हवाला देकर बच्चे भले ही स्वरोजगार को जायज ठहराते हैं मगर कानूनी रूप से यह बाल श्रम कानून का उल्लंघन है और बच्चों से ऐसा काम लेने पर कार्रवाई होने की जानकारी (child labor act)  बाल श्रम कानून के जानकार दे रहे हैं, क्या है इस रोजगार की पूरी कहानी और कितना खतरनाक है, इसकी न्यूज4नेशन ने पड़ताल की.

बाल श्रम कानून और इस कानून को लेकर जागरुकता के दावे के बीच कटिहार से एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जो सरकार के सिस्टम जमीनी स्तर तक इस कानून को लेकर कितना ध्यान रखते हैं इस पर सवाल खड़ा कर रहा है, तस्वीरें कटिहार मनसाही प्रखंड की है आमतौर पर यह इलाका बेहतर आलू उत्पादन के लिए जाना जाता है और इस बार भी आलू के अच्छे उत्पादन से किसान उत्साहित है मगर आप देख सकते हैं खेत में दर्जनों बच्चों से काम लिया जा रहा है। 

एक बोरी आलू पर दस रुपए मेहनताना

ट्रैक्टर के आगे पीछे दौड़ कर खतरनाक तरीके से जान जोखिम में डालकर 50 किलो आलू जमा कर बोरा में पैकिंग करने पर इन बच्चों को 10 मिलता है और बच्चों के माने तो स्कूल बंक कर हर दिन वे लोग 30 से 50रु या कभी-कभी उससे भी ज्यादा कमा लेते हैं,घर में दिक्कत है ऐसे में इस रुपए से जरूरत का सामान खरीदना आसान हो जाता है, बड़ी बात यह है बच्चे अब इसे रोजगार के तौर पर लेने लगे हैं इसलिए 10 से 15 किलोमीटर के सफर कर यह बच्चे मनसाही प्रखंड के अलग-अलग क्षेत्रों के आलू खेत तक आलू चुनने के लिए आते हैं। खेत मालिक सीधे तौर पर तो नहीं पर दबे जुबान से बच्चों की कम मजदूरी देखकर काम निकाल लेने की बात को मान रहे हैं।

प्रशासन की व्यवस्था पर सवाल

 बाल श्रम कानून के जानकार सामाजिक कार्यकर्ता राजेश सिंह कहते हैं कि बच्चों से इस तरह का काम लिया जाना खतरनाक है और इसके लिए खेत मालिक या काम करवाने वाले पर कार्यवाही भी हो सकता है। साथ ही राजेश यह भी कहते हैं कि फिलहाल बिहार के साथ-साथ खासकर सीमांचल इलाकों में बाल श्रम से जुड़े जो कानून है और उसकी मॉनिटरिंग के लिए जो भी एजेंसी है। वह जमीनी स्तर पर काम नहीं कर रहे हैं,इसीलिए न तो लोगों के बीच इसे लेकर कोई जागरूकता है और न ही ऐसे लोगों को जो बाल श्रम करवा रहे हैं उन्हें कार्रवाई का डर है, कुल मिलाकर बाल श्रम कानून कटिहार जिले में कागजों में ही सिमटा हुआ है।


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