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बरबीघा विधानसभा सीट पर बड़े बड़े दावेदार, क्या 53 साल का खत्म होगा इंतजार

बरबीघा विधानसभा सीट पर बड़े बड़े दावेदार, क्या 53 साल का खत्म होगा इंतजार

Sheikhpura: बिहार में भले ही कोरोना से हालात खराब चल रहे हैं. बाढ़ के कारण सूबे में त्राहिमाम की स्थिति है लेकिन सभी पार्टियां चुनाव को लेकर तैयारियों में जुट गई है. ऐसे में बरबीघा विधानसभा फिर से चर्चा में है. पहली वजह बिहार के पहले मुख्यमंत्री की ये भूमि है जहां राजनीतिक तौर पर लोग ज्यादा सजग है. दूसरी वजह ये है कि इस बार यहां टिकट को लेकर बड़े बड़े दावेदार मैदान में मारामारी करने के लिए तैयार हैं.


एक तरफ सुदर्शन दूसरे तरफ बड़े बड़े महारथी
बरबीधा विधानसभा क्षेत्र से फिलहाल सुदर्शन विधायक हैं. साल 2015 के चुनाव में सुदर्शन ने 46406 लाया था और बंपर जीत दर्ज की थी. हालांकि शिव कुमार, रवि चौधरी, राधे सिंह ने कड़ी टक्कर दी थी. इस बार ऐसी चर्चा है कि सुदर्शन कुमार कांग्रेस नहीं किसी और पार्टी से किस्मत आजमा सकते हैं और एनडीए की रथ पर सवार हो सकते हैं.  ऐसे में NDA  की तरफ से 3 नाम की खूब चर्चा बरबीघा के नुक्कड़ पर हो रही है. पहले नंबर पर खुद सुदर्शन कुमार हैं दूसरा नाम बीजेपी से पूनम शर्मा का है जो बरबीधा के क्षेत्र में लोकप्रिय हैं और तीसरा नाम लोजपा से मधुकर का हैं जो बाहुबली सूरजभान के चहेते माने जाते हैं. ऐसे में एक चर्चा ये भी है कि त्रिशुल सिंह कांग्रेस का दामन थाम सकते हैं और इनके सिर पर बाहुबली अनंत सिंह का हाथ है और राजनैतिक तौर पर साथ भी है. इस बार के चुनाव में देखने वाली बात होगी कि किसके सिर ताज सजता है क्योंकि रेस में गजानंद शाही भी हैं.

53 साल का इंतजार कब खत्म होगा
जब बात महिला सशक्तिकरण की होती है तो राजनीति में महिलाओं की दावेवारी पर भी पटना से लेकर दिल्ली तक खूब चर्चा होती है. श्री बाबू की धरती पर इस मामले में 53 साल से सूखा पड़ा है. बरबीघा सभा में 1962 में एकमात्र किसी महिला ने जीत का परचम लहराया था और लीला देवी ने जीत दर्ज की थी. ऐसे में वर्तमान हालात को देखकर लगता है कि पूनम शर्मा को टिकट मिलने में ये एक महत्वपूर्ण फैक्टर साबित हो सकता है. क्योंकि बीजेपी और पीएम मोदी महिलाओं को सक्रिय राजनीति में लाने को लेकर काफी उत्सुक दिखते हैं.


जब नयनतरा दास को महिला समझ बैठे थे यहां के वोटर
महिला सशक्तिकरण की बात तो खूब होती है लेकिन रिजल्ट बरबीधा विधानसभा क्षेत्र में ठीक उल्टा है. आजदी के इतने साल बाद भी इस धरती से बिहार विधानसभा में एकमात्र महिला विधायक ही जा सकी है. एक किस्सा सुनाते हुए एक बुजुर्ग ने कहा कि एकबार तो हम बउआ कन्फूज हो गए थे. पता चला कि नयनतारा दास आ रहे हैं टिकट मांगने. हम दौड़ के उन्हें देखने गए थे कि हमारे इलाके से कोई बेटी कैंडिडेट है लेकिन वहां जाने पर पता चला कि पुरूष ही कैंडिडेट है. थोड़े देर बाद खांसते हुए बुजुर्ग ने कहा कि बाद में बहुत अफसोस हुआ था.   


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