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किसान आंदोलन का आज 20वां दिन, कृषि कानूनों के विरोध के बीच पीएम मोदी आज कच्छ में बसे सिख किसानों से करेंगे मुलाकात

किसान आंदोलन का आज 20वां दिन, कृषि कानूनों के विरोध के बीच पीएम मोदी आज कच्छ में बसे सिख किसानों से करेंगे मुलाकात

डेस्क... नए कृषि कानून को लेकर किसानों का प्रदर्शन आज 20वें दिन पहुंच गया है। दल्ली-एनसीआर में पारा लगातार गिरता जा रहा है, लेकिन किसानों की मांगों पर गतिरोध बढ़ता ही जा रहा है। सरकार किसानों के साथ आमने-सामने से बात तो कर ही रही है। प्रदर्शनकारी किसानों को मनाने के लिए बैकडोर चैनल से भी बात कर रही है, लेकिन सिंघु, टिकरी और गाजीपुर पर डटे किसान नए कानूनों को रद्द करने से कम पर राजी नहीं है। अपनी मांगों के समर्थन में किसानों ने भूख हड़ताल भी की।

वहीं, कृषि कानूनों के विरोध के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज कच्छ में बसे सिख किसानों से मुलाकात करेंगे। पीएम आज कच्छ के दौरे पर हैं। कच्छ जिले की लखपत तालुका में और इसके आसपास मिलाकर करीब 5,000 सिख परिवार रहते हैं। नए कृषि कानूनों के विरोध में हजारों किसान पिछले दो सप्ताह से भी अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि पीएम की किसानों से इस मुलाकात के जरिए सिख समुदाय और किसानों को संदेश देने की कोशिश की जाएगी। 

आपको बता दें कि किसानों के प्रदर्शन के बीच कल यानि बुधवार को साढ़े ग्यारह बजे केंद्रीय कैबिनेट की मीटिंग है। ये मीटिंग वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए होगी। इस मीटिंग में किसानों के आंदोलन पर चर्चा हो सकती है।


इस बीच, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उनकी सरकार किसानों को संवाद के जरिए समझाएगी और बातचीत के जरिए इस गतिरोध का रास्ता निकलेगा। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अभी कृषि मंत्री और वाणिज्य मंत्री किसानों के साथ बातचीत कर रहे हैं। अगर उन्हें किसानों से बात करने के लिए कहा जाएगा तो निश्चित रूप से वह किसानों से बातचीत करेंगे। 

वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के आंदोलन में शामिल होने पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि उन्हें नहीं लगता है कि अन्ना हजारे आंदोलन में शामिल होंगे। सरकार ने किसानों के खिलाफ कुछ नहीं किया है। ये किसानों का अधिकार है कि वे अपने उपज को मंडी में बेचें या व्यापारी को बेचें या फिर किसी और को।  उन्होंने कहा कि कुछ लोग किसानों को भ्रमित करने की कोशिश कर रहे हैं ये गलत है। किसानों को इन तीनों कानूनों को समझना चाहिए।




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