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के के पाठक ने दिया बिहार के सभी स्कूलों को वार्निंग,सिर्फ 7 दिनों के अंदर इस टास्क को करें पूरा..नहीं तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें हेडमास्टर

के के पाठक ने दिया बिहार के सभी स्कूलों को वार्निंग,सिर्फ 7 दिनों के अंदर इस टास्क को करें पूरा..नहीं तो परिणाम भुगतने को तैयार रहें हेडमास्टर

PATNA- बिहार के ग्रामीण इलाकों में अभिभावकों के बीच इन दिनों एक ही चर्चा चल रही है, वो है केके पाठक की। अभिभावकों का मानना है कि केके पाठक को शिक्षा विभाग में ही रहना चाहिए। उनके आने से स्कूलों की स्थिति सुधरी है। केके पाठक के सख्त रवैये से भले लोग परेशान रहें, लेकिन हाल में मुख्यमंत्री ने उन्हें सार्वजनिक मंच से शाबासी दी। उसके बाद से केके पाठक पूरी तरह सख्त एक्शन ले रहे हैं। IAS केशव कुमार पाठक पर बिहार की 'पॉवर लॉबी' में बवाल है। ब्यूरोक्रेसी में कड़क अफसर के तौर पर केके पाठक जाने जाते हैं। वहीं  कुछ स्कूलों के हेडमास्टर केके पाठक के आदेश को नहीं मान रहे हैं। उसके बाद केके पाठक ने जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। पत्र में साफ कहा है कि हेडमास्टर को स्पष्ट निर्देश जारी किया जाए। उनसे ये कह दिया जाए कि वे यदि निर्धारित वक्त में निर्देशित कार्य को नहीं करते हैं, तो उन पर कार्रवाई हो सकती है। आइए बताते हैं केके पाठक ने क्या आदेश दिए हैं। 

केके पाठक ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि वैसे प्रधानाध्यापक जिनके स्कूल के विकास कोष में बड़ी राशि पड़ी हुई है, वह 31 जनवरी 2024 तक खर्च करें नहीं तो उक्त राशि को सरकारी खजाने में जमा करना होगा। केके पाठक की ओर से ऐसे स्कूलों के हेडमास्टर को सख्त निर्देश दिया गया है, जिनके खाते में बिहार सरकार की राशि बची हुई है। शिक्षा विभाग के मुताबिक हेडमास्टरों को 20 सितंबर 2023 और 24 सितंबर 2023 को पूर्व में इस संबंध में पत्र दिया गया था। इस पत्र में साफ कहा गया था कि माध्यमिक विद्यालय के कोष में और छात्र कोष में कुल 1200 करोड़ की राशि रखी हुई है। पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया था कि इस राशि को विद्यालय और अपने पोषक क्षेत्र के माध्यमिक विद्यालयों में खर्च करें। कई विद्यालयों ने इस पर काम शुरू कर दिया। उसके बाद अपने विद्यालय परिसर में कई तरह के कार्य किेए।

 पाठक ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर कहा है कि वैसे प्रधानाध्यापक जिनके स्कूल के विकास कोष में बड़ी राशि पड़ी हुई है, वह 31 जनवरी 2024 तक खर्च करें नहीं तो उक्त राशि को सरकारी खजाने में जमा करना होगा। केके पाठक की ओर से ऐसे स्कूलों के हेडमास्टर को सख्त निर्देश दिया गया है, जिनके खाते में बिहार सरकार की राशि बची हुई है। शिक्षा विभाग के मुताबिक हेडमास्टरों को 20 सितंबर 2023 और 24 सितंबर 2023 को पूर्व में इस संबंध में पत्र दिया गया था। इस पत्र में साफ कहा गया था कि माध्यमिक विद्यालय के कोष में और छात्र कोष में कुल 1200 करोड़ की राशि रखी हुई है। पत्र के माध्यम से अनुरोध किया गया था कि इस राशि को विद्यालय और अपने पोषक क्षेत्र के माध्यमिक विद्यालयों में खर्च करें। कई विद्यालयों ने इस पर काम शुरू कर दिया। उसके बाद अपने विद्यालय परिसर में कई तरह के कार्य किेए। 

इस पत्र को कई स्कूलों के हेडमास्टरों ने गंभीरता से नहीं लिया। स्कूल की राशि को बैंक खाते में जमा रहने दिया। उसके बाद कई विद्यालयों ने इस राशि को अपने क्षेत्र के पोषक क्षेत्र के स्कूलों को नहीं दिया। इतना ही नहीं कई हेडमास्टरों ने राशि देने में आनाकानी तक की। केके पाठक के जरिए जिलाधिकारियों को बताया गया है कि कई विद्यालय ऐसे हैं, जिनके खाते में एक करोड़ से ज्यादा की राशि रखी हुई है। पत्र में स्पष्ट कहा गया है कि बार-बार पत्र देने और जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर से आदेश देने के बाद भी पैसे को खर्च नहीं किया जा रहा है। निर्धारित क्षेत्र में भी खर्च नहीं किया जा रहा है। ये लापरवाही कतई स्वीकार नहीं की जाएगी। केके पाठक की ओर से जिले में ये आदेश दिया गया है कि ऐसे हेडमास्टरों की तत्काल बैठक बुलाई जाए। उसके बाद उन्हें कोष में मौजूद राशि को खर्च करने को कहा जाए। जिन विद्यालयों में 15 लाख से अधिक की राशि है। वे अपने पोषक क्षेत्र में शौचालय निर्माण, छात्रों हेतु साइकिल स्टैंड का निर्माण करें। हेडमास्टर को ये भी निर्देश दिया जाए कि यदि वे 31 जनवरी तक राशि को खर्च नहीं करते हैं, तो इसे सरकारी कोष में जमा कराएं। हेडमास्टर ये सुनिश्चित करें कि उनके विद्यालय के कोष में पड़ी हुई राशि का सही उपयोग हो। उसके बाद उसका उपयोगिता प्रमाण पत्र अधिकारियों को सौंपे। स्कूलों के कोष में लाखों की राशि ऐसे ही रखी हुई है। उसका प्रयोग नहीं हो रहा है। बार-बार पत्र देने के बाद भी हेडमास्टर नहीं मान रहे हैं। वैसे में कार्रवाई भी की जाएगी। जिन कार्यों को प्राथमिकता के आधार पर कराना है, उनमें परिसर का समतलीकरण, शौचालय निर्माण, लैब, लाइब्रेरी और बाउंड्रीवाल के अलावा बाकी जो भी आवश्यक कार्य हैं, उन्हें कराना जरूरी है। कहा जा रहा है कि केके पाठक के इस आदेश के बाद अब स्कूल के हेडमास्टर पूर्व अनुमति लेने के बाद अब कार्य शुरू करेंगे।

बता दें कि 'केके' का नाम सुनते ही अच्छे-अच्छे माफिया के पसीने छूट जाते हैं। कुछ लोग हद से ज्यादा जिद्दी और जुनूनी अफसर तक कहते हैं। कभी ये ठेकेदार पर रिवॉल्वर तानने के लिए सुर्खियों में आते हैं तो कभी एक साथ एक बैंक के सात ब्रांच मैनेजरों पर FIR का आदेश देने के लिए। गालीकांड भी केके कर चुके हैं। 2015 में जब महागठबंधन सरकार सत्ता में आई तो केके पाठक दिल्ली में प्रतिनियुक्ति पर थे। राज्य सरकार ने इनकी वापसी बिहार में कराई। तब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शराबबंदी कानून की जिम्मेदारी केके पाठक को दी। मद्य निषेध विभाग का प्रधान सचिव बनाया। कानून की सख्ती के बारे में कहने की जरूरत नहीं है। बाद के दिनों में सियासी मजबूरियों की वजह से कानून को लचीला बनाया गया।

बिहार में शिक्षा विभाग को सबसे ज्यादा बजट एलॉट किया जाता है। राज्य के शिक्षा मंत्री को काफी पावरफुल माना जाता है। हाल के दिनों में एक लाख 70 वैकेंसी निकाली गई है। नीतीश कुमार ने केके पाठक को शिक्षा विभाग का अपर मुख्य सचिव बना दिया। अब केके पाठक की तपिश से मंत्री चंद्रशेखर बिलबिला उठे। अनाप-शनाप बोलने लगे। केके पाठक को हड़काने लगे। नायक (फिल्म) और रॉबिनहुड न बनने की सलाह देने लगे। पीत पत्र भेजवाने लगे। जब केके पाठक फॉर्म आए तो चंद्रशेखर के पसीने छूटने लगे। लालू यादव से लेकर नीतीश कुमार तक के दरबार में हाजिरी लगाने लगे। 

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