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कोडरमा बीजेपी सांसद रविन्द्र राय का अध्याय समाप्त ! कार्यकर्ताओं में आक्रोश

कोडरमा बीजेपी सांसद रविन्द्र राय का अध्याय समाप्त ! कार्यकर्ताओं में आक्रोश

NEWS4NATION DESK : झारंखड में बीजेपी को मजबूत स्थिति में लाने वाले पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व वर्तमान कोडरमा सांसद रविन्द्र राय को संटिंग में डाल दिया गया है। जाती से भूमिहार रविन्द्र राय को साइड लाइन क्यों किया गया है इसके पीछे का वजह पता नहीं चल पाया है। लेकिन रविन्द्र राय को किनारे लगाए जाने के बाद कोडरमा के बीजेपी कार्यकर्ताओं में आक्रोश व्याप्त है।  

दरअसल कोडरमा के वर्तमान सांसद रविन्द्र राय का इस चुनाव में पत्ता साफ कर दिया गया है। बीजेपी ने यहां से हाल ही पार्टी में शामिल हुई राजद सुप्रीमों लालू यादव की खासमखास व राजद के प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी अन्नपूर्णा देवी को टिकट दिया है। भाजपा प्रभारी भूपेंद्र यादव ने यह कमाल कर दिखाया है।

वर्षो से पार्टी को सींच कर खड़ा करने वाले रविन्द्र राय के पॉलिटिकल कैरियर को एकबारगी लालू के करीबी की वजह से डिरेल कर दिया गया। अब आगे क्या होगा यह तो वक्त बताएगा, लेकिन खबर मिली है कि वाराणसी में रविन्द्र राय ने राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से मुलाकात कर अपनी पीड़ा का इजहार कर दिया है। 

खबर यह भी है कि पार्टी के ईमानदार सिपाही रविन्द्र को अध्यक्ष जी बगैर आहत हुए मिशन मोदी में लग जाने को कहा है। बेचारे रविन्द्र राय भी कहते चल रहे है कि अध्यक्ष जी से मिलने के बाद वेदना कम हुई है। जो खबरे आ रही है उसके मुताबिक शाह साहब के निर्देश के अनुसार रविन्द्र राय काम करना शुरू कर दिए है मतलब साफ है कि झारखंड से आने वाले इस बड़े बीजेपी नेता का काम बड़े ही तरीके से भूपेंद्र यादव ने तमाम कर दिया। 

क्या रविन्द्र राय का भूमिहार होना यहां अभिशाप तो नहीं हो गया। क्योंकि राजनीतिक जानकार भी मानते है कि टिकट बंटवारे में जिस तरीके से बीजेपी अपने परम्परागत वोटर भूमिहारों-ब्राह्मणों की उपेक्षा किया है। इससे पहले कुछ ऐसा ही मामला बिहार से सामने आया था। बिहार में भूमिहार जाति से महज एक गिरिराज सिंह को टिकट मिला है। वह भी उनके वर्तमान क्षेत्र नवादा के बदले बेगूसराय से। सीट बदले जाने के बाद गिरिराज सिंह ने भी नाराजगी जताते हुए चुनाव नहीं लड़ने तक का एलान कर दिया था। बाद में वे राष्ट्रीय अध्यक्ष से मुलाकात के बाद वे चुनाव लड़ने पर तैयार हुए थे।  हालांकि प्रथम चरण के चुनाव में इस वर्ग से आने वाले वोटरों की निष्क्रियता ने बीजेपी को बेचैन कर दिया है। 

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