PATNA : राजनीति में अक्सर आप राजनेताओ और दलों के बीच खिच़ड़ी पकते सुनते होंगे। लेकिन अब बिहार की राजनीति एक कदम आगे बढ गई है। बिहार में अब खिचड़ी सियासत की बजाए ‘खीर पोलिटिक्स’ शुरू हो गई है। केंद्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा के बिहार मे “खीर बनाने” वाले बयान के बाद सूबे में सियासत तेज हो गई है।
क्या कहा था उपेन्द्र कुशवाहा ने
शनिवार को पटना के एसकेएम हाल में आयोजित बीपी मंड़ल जन्म शताब्दी समारोह मे केंद्रीय मानव संसाधन विकास राज्य मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने खीर के जरिये सामाजिक न्याय की परिभाषा समझाई थी। कुशवाहा ने कहा था की यदुवंशी के दूध और कुशवंशी के चावल मिल जाएं तो खीर बनते देर नही लगती। लेकिन वह खीर को सुस्वादू बनाने के लिए पंचमेवा की जरूरत होती है । अतिपिछड़े, दलित , शोषित पंचमेवा का काम करेंगे। खीर, चीनी के बिना अधूरी है । चीनी गरीबों के यहां नहीं मिलती है। चीनी को हम ब्राह्मण परिवार से लायेंगे। खीर बनने के बाद तुलसी दल की जरूरत होती है जिसे हम चौधरी परिवार से मांगेंगे। अब खीर तो बनकर तैयार हो गय़ी । लेकिन खीर को बैठकर खाने के लिए दस्तरखान की जरूरत पड़ेगी जिसे हम अल्पसंख्यक भाई के यहां लायेंगे। उस दस्तरखान पर बैठ कर सब भाई मिल-बैठ कर खायेंगे । यही हमारी सामाजिक न्याय की परिभाषा है ।
सियासी सरगर्मी बढ़ी
रालोसपा अध्यक्ष के इस बयान के बाद बिहार की सियासत तेज हो गई है । विपक्षी दलों के नेता इसे एनडीए मे फूट के तौर पर देख रहे हैं। कुशवाहा के बहाने विपक्षी नेताओं को बीजेपी पर हमला करने का एक और मौका मिल गया है । पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी खीर पाँलिटिक्स मे कूद गए हैं और कुशवाहा के बयान का समर्थन किया है। तेजस्वी ने ट्वीट में लिखा है की प्रेमभाव से बनाई गई खीर मे पौष्टिकता ,स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है । यह एक अच्छा व्यंजन है। वहीं कुशवाहा के ‘खीर पोलिटिक्स’ के बाद बीजेपी के नेता सोच समझकर बयान दे रहे हैं। बीजेपी के प्रदेश अध्यकक्ष नित्यानंद राय ने भी कहा की उपेन्द्र कुशवाहा ने कोई भी गलत बात नही की है । वे एनडीए के सम्मानित सदस्य हैं।
REPORTED BY VIVEKANAND