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जब प्रधान सचिव ही होंगे लेटलतीफी का शिकार, तो कैसे होगा स्कूली शिक्षा का उद्धार

जब प्रधान सचिव ही होंगे लेटलतीफी का शिकार, तो कैसे होगा स्कूली शिक्षा का उद्धार

PATNA :   क्या शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव ही स्कूली शिक्षा का बंटाधार करने पर तुल गये हैं ? सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने में उनकी लापरवाही सामने आयी है। जब शीर्ष अधिकारी ही लेटलतीफी का शिकार होगा तो शिक्षा व्यवस्था कैसे पटरी पर आएगी।

प्रधान सचिव ने देर से जारी किया आदेश

प्रधान सचिव ने 6 अगस्त को एक आदेश जारी किया जिस पर विभाग की किरकिरी हो रही है। उन्होंने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को एक पत्र जारी किया जिसमें कहा गया है कि अगस्त के पहले सप्ताह में हर स्कूल में नामांकन पखवाड़ा आयोजित किया जाए। इस अभियान के जरिये 6, 7 और आठ साल के बच्चों का नामांकन सुनिश्चित किया जाए।

आदेश पर सवाल

मुख्य सचिव के इस आदेश पर सवाल पूछा जा रहा है कि जब अगस्त के पहले सप्ताह से नामांकन का विशेष अभियान चलाना था तो आदेश 6 अगस्त को क्यों निकाला गया ?  नामांकन के लिए एक पखवाड़ा यानी 15 दिन का समय दिया है। 6 अगस्त को आदेश निकला है। अगर जल्दबाजी भी की जाएगी तो स्कूलों तक इस आदेश को पहुंचने में तीन दिन लग जाएंगे। 15 दिन में 9 दिन तो बिना काम के ही गुजर जाएंगे। पांच दिन में एक दिन रविवार होगा। यानी इस आदेश के अनुपालन के लिए केवल चार दिन मिलेंगे। अब चार दिन में नामांकन के लक्ष्य को कितना हासिल किया जा सकता है, कहना मुश्किल है।

सरकार खुद मान रही नामांकन की स्थिति ठीक नहीं

प्रधान सचिव के पत्र में इस बात का जिक्र है कि प्राथमिक और मिडिल स्कूलों में अपेक्षा के अनुरूप नामांकन नहीं हो पा रहा है। जब कि सरकार की जवाबदेही है कि वह 6 से 14 वर्ष तक के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मुहैया कराए। लेकिन सवाल ये है कि जब प्रधान सचिव के स्तर पर इस मामले में लापरवाही हो तो नामांकन के लक्ष्य को कैसे पूरा किया जाएगा।

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