NALANDA : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चाहे लाख दावे कर लें. लेकिन राज्य में आये दिन स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खुल जाती है. ताजा मामला बिहारशरीफ के आईएसओ सदर अस्पताल में सामने आया है. जाह्न एक दंपति अपनी बच्ची को गोद में लेकर इलाज के लिए इधर से उधर भटकते रहा. करीब एक घंटे बाद एक चिकित्सक ने बच्ची का नब्ज टटोला और मृत घोषित कर दिया. इसके बाद परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगा कर जमकर विलाप किया.
दीपनगर थाना इलाके के राणाबिगहा निवासी राजीव कुमार का आरोप है कि उसकी पुत्री का लीवर इंफेक्शन का इलाज करीब एक वर्ष से पावापुरी मेडिकल कॉलेज में चल रहा था. आज अचानक उसकी तबियत खराब हो गयी. जिसके बाद वह अपनी बच्ची को निजी क्लीनिक में ले गया. जिसके बाद उसे सदर अस्पताल भेज दिया गया. सदर अस्पताल लाने के बाद वह अपनी बच्ची को लेकर इमरजेंसी में ले गया. जहां से ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने शिशु रोग विशेषज्ञ के पास भेजा. शिशु रोग विशेषज्ञ नहीं रहने पर कर्मी ने पुनः इमरजेंसी वार्ड भेज दिया. इस दौरान दंपति अपनी बच्ची को गोद में लेकर इधर से उधर भटकते रहा. बात बढ़ता देख इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर जो हड्डी रोग विशेषज्ञ थे. उन्होनें बच्ची का नब्ज टटोला और मृत घोषित कर दिया.
बच्ची की मौत की खबर सुनते ही परिजन अस्पताल प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाकर चीख पुकार मचाने लगे. इधर सदर अस्पताल के डीएस डॉ अंजनी कुमार ने बताया कि इमरजेंसी में तैनात डॉक्टर ने बच्ची का इलाज किया था. ज्यादा तबीयत खराब होने के कारण रास्ते में ही उसकी मौत हो चुकी थी. वहीं शिशु रोग विशेषज्ञ के नहीं रहने की बात को सिरे से नकारते हुए कहा कि चिकित्सक तीन शिफ्ट में ड्यूटी पर मौजूद रहते हैं. विजिट पर रहने के कारण वे अपने चैंबर में मौजूद नहीं हो सकते हैं. मामला चाहे जो भी हो मगर आए दिन सदर अस्पताल में इलाज में लापरवाही का आरोप लगा करता है.
बताते चलें की कल भी स्वास्थ्य विभाग की पोल खोलती एक तस्वीर रोहतास जिले से सामने आई थी. जहाँ बंध्याकरण कराने के बाद महिला को खटिया की डोली बनाकर घर ले जाया जा रहा था. हालाँकि इस मामले को लेकर सिविल सर्जन ने कहा की महिला का घर पहाड़ी पर था. जहाँ एम्बुलेंस जाना संभव नहीं था.
नालंदा से राज की रिपोर्ट