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सेवा संग संस्कृति के संवाहक बने लखीसराय एएसपी, छठ को लेकर फेसबुक पोस्ट को मिल रही है चर्चा

सेवा संग संस्कृति के संवाहक बने लखीसराय एएसपी, छठ को लेकर फेसबुक पोस्ट को मिल रही है चर्चा

Lakhisarai : संस्कृति को जीने वाले ही अपनी जड़ों की महत्ता समझते हैं। छठ महापर्व पर ऐसे ही सांस्कृतिक जुड़ाव का उदाहरण पेश किया है लखीसराय के एएसपी अमृतेश कुमार ने। जिले में नक्सल विरोधी अभियान को लीड कर रहे पुलिस कप्तान अमृतेश कुमार ने पहली बार छठ किया। नियम और विधि विधान पूर्वक छठ का चार दिवसीय अनुष्ठान संपन्न होने पर उन्होंने अपने फेसबुक वॉल पर छठ की महत्ता और जीवन की सफलताओं में परिवार के महत्वपूर्ण साथ को बताते हुए छठ जैसे त्योहार में स्त्री शक्ति के बहुआयामी व्यक्तित्व को अभिव्यक्त किया है। साथ ही अपने गांव के बदले जब कोई अपनी कर्मभूमि पर रहता है तो उसके दर्द को भी अनुभव कराया है। प्रातः अर्घ्य के उपरांत अमृतेश लिखते हैं, छठ-पूजा पूर्ण हुई। पहली बार खुद ये व्रत किया। चार दिनों तक नियम और निष्ठा के साथ पूजा करना और एक निश्चित समय तक निर्जला व्रत करना एक तप है। यह शरीर एवं चित्त की शुद्धि के साथ एक आध्यात्मिक अनुभव है। 

सेवा की कुछ बाध्यताओं के कारण यह व्रत गाँव में ना करके अपने कार्यस्थल लखीसराय में ही कर सका। भारतीय पर्व-त्योहारों में बहुत तरह के इंतजाम करने होते हैं। धर्मपत्नी लगातार लगी रहीं और उनके साथ दोनों बच्चे भी कार्य में लगे रहे। इस दौरान यह खयाल भी आया कि अगर ये महिलाएँ कोई व्रत करती हैं तो खुद ही व्रत संबंधी कार्यों में भी लगी रहती हैं जिससे इनको हमसे ज्यादा कठिनाई होती होगी ! इसी तरह हमारी माँ, बहनें एवं सभी महिलाएँ इन कार्यों में लगकर केवल व्रत को ही नहीं बल्कि हमारे जीवन को भी सुंदर बनाती हैं। इन महिलाओं का सेंस और समर्पण अद्भुत है। इनके बिना हम किसी पर्व की कल्पना तक नहीं कर सकते। इसके साथ ही भारतीय पर्व-त्योहार हमारी संस्कृति का दर्शन भी कराते हैं जो हमारी अगली पीढ़ी के लिए जानना और सीखना आवश्यक है।

अमृतेश के छठ की तस्वीरे सामने आने पर कई लोगों ने उन्हें संस्कृति का संवाहक बताया है। उनके साथ काम करने वाले एक कर्मी नाम न छापने की शर्त पर कहते हैं अमृतेश ने न सिर्फ छठ किया बल्कि छठ, भारतीय तीज त्योहार, समाजिकता, बिहार की लोक संस्कृति और अगली पीढ़ी को अपनी जड़ों से जुड़े रहने का संदेश भी देने का  काम किया है। उनके जैसे अधिकारी जब उदाहरण पेश करते हैं तो समाज का बहुधा वर्ग उनसे सीख लेता है।  उनके छठ करने की विशेषता यह भी रही कि वे पुलिस सेवा के कार्य भी करते रहे। विभागीय सूत्रों की माने तो वे छठ व्रती होने का बावजूद नियमित रूप से विभिन्न पुलिस अभियानों का अपडेट लेते रहे। साथ ही आवश्यक दिशा निर्देश भी दिया। 

सेवा के साथ संस्कृति के संवाहक बनकर अमृतेश ने लखीसराय के साथ ही असँख्य बिहारियों का दिल जीत लिया है। अब सोशल मीडिया पर उन्हें बधाई देने वालों का तांता लगा है।

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