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टीका के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में हो रहा लाखों का फर्जीवाड़ा

टीका के नाम पर स्वास्थ्य विभाग में हो रहा लाखों का फर्जीवाड़ा

Kaimur: कैमूर जिला का स्वास्थ्य विभाग अक्सर सुर्खियों में रहता है। फर्जीवाड़ा, घोटाला, और गड़बड़ी इस तरह के मामले लगातार सामने आते रहे हैं। इस बार लाखों रुपए के घोटाला तत्कालीन सिविल सर्जन के आदेश पर एक एनजीओ को लाभ पहुंचाने के लिए कर दिया गया। लेकिन मामला उजागर होने के बाद वर्तमान सिविल सर्जन मिथिलेश झा ने उस बड़े फर्जीवाड़े को रोक तो दिया, लेकिन किसी भी प्रकार की कार्रवाई नहीं करना बहुत बड़े घोटाले के तरफ इशारा कर रहा है। 

सरकार की तरफ से स्वास्थ्य विभाग द्वारा जो बच्चों को टीका मुफ्त में दिया जाता है उस टीका के बदले 9 माह पूर्व रहे सिविल सर्जन द्वारा एक एनजीओ को ₹30 प्रति टीका और ₹2 नामांकन शुल्क के नाम पर लोगों से वसूली किए जाने का लिखित आदेश जारी कर दिया गया था। संबंधित आदेश के 9 माह बाद नए सिविल सर्जन के जनकारी में जब मामला आया तो आदेश देख कर सकते में पड़ गए। उन्होंने पूर्व के सिविल सर्जन द्वारा जारी किए गए आदेश को रद्द कर दिया। 

लेकिन इस फर्जीवाड़े के मामला सामने आने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं किया जा रहा है. 19 जनवरी 2018 को तत्कालीन सिविल सर्जन डॉक्टर नंदेश्वर प्रसाद ने दानापुर पटना के एक एनजीओ एकता फाउंडेशन को अपने कार्यालय से हेपेटाइटिस बी, टाइफाइड, मेननजाइटिस का टीका देने के लिए ₹2 नामांकन शुल्क और ₹30 प्रति टीका लेने का आदेश लिखित रूप से जारी कर दिया। पूर्व के सिविल सर्जन के आदेश पर एनजीओ द्वारा जिले में विभिन्न जगहों पर टीकाकरण कर पैसा वसूल आ जाने लगा। लाखों रुपये की वसूली ग्रामीणों से की गई। 

कई गांव का दौरा करने के बाद जब एनजीओ के लोग कुदरा प्रखंड के डेरवा पंचायत में पहुंचकर ग्रामीणों से पैसे की वसूली कर रहे थे तो वहां के मुखिया राजू सिंह शंका होने पर इसकी सूचना स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को दी। जिस पर सिविल सर्जन मिथिलेश झा ने पुराने सिविल सर्जन के आदेश को गलत बताते हुए रद्द कर दिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं कि। सिविल सर्जन ने बताया टीका स्वास्थ्य विभाग की तरफ से लोगों को मुफ्त में दिया जाता है। किसी प्रकार का पैसा वसूलना गलत है । तत्कालीन सिविल सर्जन के आदेश को रद्द कर दिया गया है और सभी स्वास्थ्य केंद्र प्रभारियों को आदेश दे दिया गया है की प्रधानमंत्री का मुफ्त टीकाकरण योजना है एक रुपए की राशि किसी भी ग्रामीण जनता से नहीं लेना है। अगर कोई लेगा तो करवाई किया जाएगा।

लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि जिस एनजीओ को व्यक्तिगत लाभ पहुंचाने के लिए इतना ज्यादा फर्जीवाड़ा कर ग्रामीणों को चुना लगाया गया, लाखों रुपए की ठगी जिले में कर ली गई, उस एनजीओ पर अभी तक स्वास्थ्य विभाग द्वारा आखिर प्राथमिकी क्यों नहीं कराई गई।

कैमूर से देवब्रत की रिपोर्ट

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