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जदयू और राजद के विलय को लेकर लालू ने जगदानंद से की चर्चा, लेकिन नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर अटका मामला

जदयू और राजद के विलय को लेकर  लालू ने जगदानंद से की चर्चा, लेकिन नीतीश कुमार की भूमिका को लेकर अटका मामला

PATNA : बिहार में राजद की नई कार्यकारिणी के गठन होने के साथ ही जदयू के साथ पार्टी के विलय की चर्चा भी तेज हो गई है। माना जा रहा है कि दोनों पार्टियों के विलय भी जल्द होने जा रहा है। इन सबके बीच यह बात भी सामने आई है कि  मीसा भारती के घर पर लालू प्रसाद और जगदानंद सिंह के बीच राजद और जदयू के विलय पर भी विस्तार से बात हुई। लेकिन, मामला महागठबंधन में कॉर्डिनेशन कमेटी पर भी बात अटकी हुई है। साथ ही इसे लीड कौन करेगा, इसको लेकर भी सहमति नहीं बन पा रही है।

जगदानंद और नीतीश के बीच मतभेद है एक बड़ा कारण

दोनों पार्टियों में विलय में सबसे बड़ी बाधा जगदानंद और नीतीश कुमार के बीच आपसी मतभेद हैं। सूत्र बताते हैं कि असली लड़ाई नीतीश कुमार और जगदानंद सिंह के बीच है। यह जाहिर है कि जगदानंद के बेटे सुधाकर सिंह का इस्तीफा मुख्यमंत्री के कहने पर लिया गया था, आगे भी जब तक नीतीश सीएम रहेंगे, बेटे का राजनीतिक करियर आगे नहीं बढ़ पाएगा। ऐसे में जगदानंद सहित राजद के कुछ नेता यह चाहते हैं कि अगर पार्टी का विलय हो तो बिहार की कमान तेजस्वी यादव के हाथ में आए और नीतीश कुमार राष्ट्रीय अध्यक्ष हों। ताकि बेटे का करियर भी बेहतर हो।

कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए और बड़े फैसले यही कमेटी ले 

 अभी चूंकि महागठबंधन के नेता नीतीश कुमार हैं, इसलिए बड़े फैसले वही ले रहे हैं। नीतीश कुमार कई बार यह दिखा चुके हैं कि वे तेजस्वी को आगे बढ़ा रहे हैं या उनके कामकाज से काफी खुश हैं। हाल में मंच से उद्घोष कर तेजस्वी का जन्मदिन नीतीश कुमार ने जैसे मनाया, वैसा शायद ही किसी नेता का पहले मनाया गया होगा।  अब जगदानंद सिंह चाहते हैं कि महागठबंधन के अंदर कॉर्डिनेशन कमेटी बनाई जाए और बड़े फैसले यही कमेटी ले। ताकि नीतीश कुमार के वर्चस्व को कम किया जा सके। जदयू और राजद के बीच मतभेद यहीं पर अटकी हुई है।

राजद को मिल चुकी है हार

जिस तरह से अभी महागठबंधन की कमान नीतीश कुमार संभाल रहे हैं। उसमें राजद फिलहाल बैकफूट पर है। सुधाकर सिंह के मामले में एक बार ऐसा हो चुका है कि सिर्फ नीतीश कुमार के कहने पर राजद ने उन्हें मंत्री पद से हटा दिया। यह महागठबंधन में राजद की पहली हार थी। उसके बाद जिस तरह से जगदानंद सिंह ने खुलकर तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने की बात कही तो भी जदयू ने अपनी नाराजगी जाहिर की।  यहां भी लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव को यह आदेश जारी करना पड़ा कि अब कोई बयान सिर्फ तेजस्वी यादव ही देंगे। वहीं इसके बाद जगदानंद सिंह के पार्टी अध्यक्ष पद छोड़न के पीछे भी नीतीश कुमार को ही कारण माना गया। ऐसे में अगर जगदानंद सिंह को लालू हटा देते हैं तो उनकी राजनीतिक हार होगी।मैसेज जाएगा कि नीतीश भारी पड़ गए। 

ऐसे में अगर पार्टी का विलय होता है तो राजद कभी यह नहीं चाहेगी कि यहां भी नीतीश कुमार का ही शासन चले। वहीं जदयू भी इस बात को अच्छे से समझती है कि अगर विलय होता है तो बड़ी पार्टी होने के कारण सारा पावर दूसरी तरफ शिफ्ट हो जाएगा। खुद मुख्यमंत्री भी इस बात को अच्छी तरह से समझ रहे हैं। 


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