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तेजस्वी को सीएम बनाने के लिए लालू ने बिछाई बिसात : इस तरह से समीकरण साध हथियाना चाहते हैं बिहार की सत्ता, एक साथ दलित मुस्लिम वोट पर साध रहे निशाना

तेजस्वी को सीएम बनाने के लिए लालू ने बिछाई बिसात : इस तरह से समीकरण साध हथियाना चाहते हैं बिहार की सत्ता, एक साथ दलित मुस्लिम वोट पर साध रहे निशाना

PATNA : बीमार लालू ने राजद के 25वें स्थापना दिवस समारोह पर हुंकार भरकर बता दिया कि अभी उनका वजूद बचा है और उससे बिहार की सियासत में बहुत कुछ साध सकते हैं। इसी के तहत राजद सुप्रीमो लालू यादव ने अपनी सियासी छटपटाहट शुरू कर दी है ताकि अपने छोटे बेटे तेजस्वी को बिहार की सत्ता पर गद्दीनशीं करा सकें। 

वर्तमान सियासी माहौल पर नजर डालें तो यह महसूस होता है कि बिहार में राजनीति लालू प्रसाद के बिना पूरी नहीं हो सकती है। पटना से दूर रहकर भी लालू प्रसाद बिहार की राजनीति को कैसे चलाना है, यह वह भली भांती भी जानते हैं। अब उन्होंने तेजस्वी को सीएम बनाने के लिए उन्होंने बड़ा दांव खेलना शुरू कर दिया है। इसका बड़ा उदाहरण तब देखने को मिला जब लालू प्रसाद के दो बड़े सिपहसलार दो दिन के अंतराल में दो बड़े राजनीतिक घरानों को साधने की कोशिश की है। एक तरफ जहां सारण में पूर्व सांसद व बाहुबली नेता प्रभुनाथ सिंह से अब्दूल बारी सिद्दीकी ने मुलाकात कर लालू का संवाद पहुंचाया तो दूसरी तरफ शनिवार को श्याम रजक ने चिराग पासवान से मुलाकात की। 

दलित वोटों पर राजद की नजर


बिहार की राजनीति को देखें तो दलित वोटों पर राजद की पकड़ कमजोर हुई है। जहां पहले सिर्फ लोजपा ही पार्टी को नुकसान पहुंचाती रही थी, वही अब मांझी की हम ने दलित वोटों में सेंध लगा दी है। ऐसे में दलित वोटों को फिर से हासिल करने के लिए लालू प्रसाद ने बड़ा दांव चल दिया है। इस कड़ी में सबसे पहले चिराग पासवान को अपने साथ मिलाने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल चिराग बिहार में दलित वोटों का सबसे बड़ा चेहरा हैं। राजद की तरफ से पूरी कोशिश की जा रही है कि वह चिराग को अपने साथ मिला लें। इस कोशिश का पहला असर तब सामने आया, जब दिल्ली में राजद के दलित नेता श्याम रजक ने चिराग पासवान से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद श्याम रजक ने साफ कर दिया कि हर कोई चाहता है कि महागठबंधन और अधिक मजबूत हो। 

लालू के दलित वोटों को साधने की कोशिश सिर्फ चिराग तक सीमित तक नहीं है। इससे पहले श्याम रजक ने कांग्रेस के बड़े दलित चेहरा मानी जानेवाली लोकसभा की पूर्व स्पीकर मीरा कुमार और बिहार कांग्रेस प्रभारी भक्त चरण दास से मुलाकात की। हालांकि श्याम रजक इसे शिष्टाचार मुलाकात बताते हैं। लेकिन बिहार के सभी दलित नेताओं से इस तरह मुलाकात के नए सियासी मायने तलाशे जा रहे हैं। 

सारण में सिद्दीकी और प्रभुनाथ की मुलाकात

एक तरफ जहां श्याम रजक दिल्ली में दलित नेताओं से मुलाकात कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ सारण के मशरख में दूसरी राजनीति की खिचड़ी पकाई जा रही थी। यहां लालू का संदेश लेकर वरिष्ठ नेता अब्दूल बारी सिद्दीकी ने सारण के पूर्व सांसद प्रभुनाथ सिंह से मुलाकात की। सिद्दीकी इसके बाद सीधे सीवान पहुंच गए, जहां उन्होंने मुस्लिम वर्ग को साधने के लिए मो. शहाबुद्दीन के परिवार से मुलाकात की। साथ ही दिवंगत शहाबुद्दीन की बेटी की सगाई में शामिल होकर यह बताने की भी कोशिश की वह शहाबुद्दीन की सच्ची हितैषी है। शहाबुद्दीन भले ही जीवित नहीं हैं, लेकिन बिहार के मुस्लिम वोटरों में आज भी उनका रुतबा कायम है, जिसे राजद किसी कीमत पर खोना नहीं चाहती है।

कितना होगा फायदा 

लालू प्रसाद के इन मेगा प्लान को लेकर राजनीतिक जानकार मानते हैं कि इसका कोई बड़ा फायदी नहीं मिलेगा। कुछ दिन पहले ही तेजस्वी ने मंजीत सिंह को राजद में लाने की कोशिश की थी, लेकिन इसमें कामयाबी नहीं मिल सकी। ऐसे में प्रभुनाथ से सिद्दीकी की मुलाकात का कितना फायदा होगा, यह आनेवाला समय बताएगा। वहीं बात अगर चिराग की करें तो पार्टी में बगावत के बाद वह बिल्कुल अकेले हो गए हैं, ऐसे में उन्हें खुद एक बड़े राजनीतिक सहारे की आवश्यकता है। जो राजद से पूरी हो सकती है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि क्या चिराग तेजस्वी से हाथ मिलाकर बिहार की राजनीति में कदमताल कर पाएंगे। बेशक, राष्ट्रीय जनता दल एक बड़ी पार्टी है और हर कीमत पर तेजस्वी चाहेंगे कि चिराग का चिराग इतना ज्यादा न रोशन हो जाए कि लालटेन की रोशनी धीमी पड़ जाए।



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