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लालू-तेजस्वी को भ्रष्टाचारी बताने वाले 'ललन सिंह' आज तेजस्वी से सम्मान पाकर हुए गदगद

लालू-तेजस्वी को भ्रष्टाचारी बताने वाले 'ललन सिंह' आज तेजस्वी से सम्मान पाकर हुए गदगद

पटना. लालू यादव का जब भी नाम लिया जाता है तो सहसा ही चारा घोटाले की बात सामने आ जाती है. लालू यादव के राजनीतिक जीवन में चारा घोटाला एक ऐसा दाग रहा है जिसमें उन्हें सजा हुई, जेल जाना पड़ा और चुनाव लड़ने से भी वे वंचित हो गए. लेकिन लालू यादव की राजनीति को चारा घोटाले में जो इतना बड़ा झटका लगा उसके सूत्रधार नेताओं में जिनका नाम अग्रणी है उसमें जदयू के मौजूदा अध्यक्ष ललन सिंह सर्वोपरि हैं. 

ललन सिंह उन नेताओं में शामिल रहे जिन्होंने सबसे पहले लालू यादव की चारा घोटाले की फ़ाइल खोली. उसे लेकर आंदोलन किया. उनके खिलाफ कोर्ट कचहरी जाने वालों को सबूत मुहैया कराया. यहां तक कि भाजपा नेता सुशील मोदी जिस चारा घोटाला के नाम पर लालू यादव पर दशकों तक हमलावर रहे. जो जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार लालू यादव का कैदी नंबर बताकर उन पर निशाना साधते रहे, कहा जाता है कि उन सबको चारा घोटाला का शुरूआती सबूत ललन सिंह ने ही दिया है. 

संयोग से वर्षों बाद 9 अगस्त 2022 को जब नीतीश कुमार ने सीएम पद से इस्तीफा दिया और अब राजद संग नई सरकार बना रहे हैं तो उसमें भी ललन सिंह की अहम भूमिका मानी जाती है. ललन सिंह जब नीतीश कुमार के साथ राबड़ी आवास पहुंचे तो उनका तेजस्वी ने जिस गर्मजोशी से स्वागत किया. उसे देखकर ऐसा लगा कि सारे गिले शिकवे भुलाकर तेजस्वी अब ललन सिंह के साथ मिलकर काम करने को तैयार हैं. 

दरअसल, मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने के तुरंत बाद नीतीश कुमार ने 10 सर्कुलर रोड स्थित राबड़ी आवास पहुंचकर राजद के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की. नीतीश कुमार का राबड़ी देवी सहित तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव ने गर्मजोशी से स्वागत किया. नीतीश के साथ जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह भी मौजूद रहे. तेजस्वी ने नीतीश और ललन सिंह का गुलदस्ता देकर स्वागत किया. वहीं लालू-राबड़ी परिवार के सदस्यों से मुलाकात के बाद जद (यू) नेता नीतीश कुमार ने राजद के तेजस्वी यादव से कहा कि 2017 में जो हुआ उसे भूल जाएं और एक नया अध्याय शुरू करें. तेजस्वी यादव ने पहले ही बिना शर्त नीतीश कुमार को समर्थन देने की घोषणा कर रखी है. 

नीतीश कुमार अपने आधिकारिक आवास से अकेले ही राजभवन गए. उन्होंने वहां राज्यपाल फागू चौहान से मुलाकात की और अपना इस्तीफा पत्र उन्हें सौप दिया. इसके पहले जदयू के विधायकों और सांसदों की सुबह 11 बजे से बैठक हुई. उसमें नीतीश कुमार ने सभी को बताया कि कैसे उनके दल जदयू को कमजोर करने की भाजपा की ओर से साजिश रची गई. इसके लिए वर्ष 2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान ही सबसे पहले चिराग पासवान को पेश कर जदयू की सीटों को कम करने की कोशिश की गई. बाद में आरसीपी सिंह की मदद से जदयू में सेंधमारी की कोशिश की गई. 

मुख्यमंत्री नीतीश ने मंगलवार दोपहर 3.45 बजे के आसपास राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया. उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात की और अपना इस्तीफा उन्हें सौपा. सूत्रों के अनुसार नीतीश कुमार ने  राज्य में नई सरकार बनाने के फार्मूले से भी राज्यपाल को अवगत करा दिया है. वे अब बुधवार को नए सिरे से राज्यपाल से मिलकर उन्हें नई सरकार में शामिल होने वाले राजनीतिक दलों और विधानसभा सदस्यों के समर्थन का पत्र सौंपा. 


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