PATNA: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की NDA में वापसी से जदयू खुश है। भाजपा की तरफ से भी उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने स्वागत किया है। लेकिन लोजपा अंदर और बाहर दोनो तरफ से नाखुश नजर आ रही है। लोजपा ने हम के एनडीए के वापसी पर 7 सितंबर को प्रदेश संसदीय बोर्ड की अहम बैठक बुलाई है। दरअसल एनडीए के भीतर सबसे बड़ा सवाल ये उठने लगा है कि आखिर दलित की राजनीति करने वाला बड़ा राजनीतिक दल कौन है।
लोक जनशक्ति पार्टी के रामविलास पासवान और उनके बेटे चिराग पासवान दलित के नेता के तौर पर जाने जाते रहे है। जिसके वोट बैंक का फायदा लोजपा के साथ साथ एनडीए को मिलता रहा है। लेकिन हम के शामिल होने से जीतन राम मांझी का दलित प्रेम भी शामिल हो गया है। सूत्रों की माने तो लोजपा हम के शामिल होने पर शुरू से नाराज थी। चिराग पासवान ने पिछले कई राजनीतिक उठापटक के बीच सीएम नीतीश कुमार से सवाल पूछे हैं। जो सीएम नीतीश को भी रास नहीं आया।
जदयू के कहने पर ही मांझी को एनडीएम में शामिल करने की बात हुई। मांझी ने भी बयान देते हुए साफ कर दिया कि वह जद यू की सहयोगी है। ऐसे में लोजपा और हम एक साथ कैसे एनडीएम में रहेंगे इस पर भी सियासत तेज हो गई है। पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा की एनडीए में वापसी के बाद गठबंधन के एक और सहयोगी दल लोक जनशक्ति पार्टी में हलचल तेज हो गई है। जीतन राम मांझी के दोबारा एनडीए में शामिल होने के बाद लोक जनशक्ति पार्टी नाखुश है। इसकी मुख्य वजह यह है कि एनडीए में लोक जनशक्ति पार्टी मुख्यतः दलित राजनीति करती है।
मगर अब मांझी के वापस एनडीए में शामिल होने से दलित वोट बैंक को लेकर लोक जनशक्ति पार्टी और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा में टकराव की स्थिति पैदा हो गई है। जीतन राम मांझी की एनडीए में एंट्री से परेशान लोजपा ने अब 7 सितंबर को प्रदेश संसदीय बोर्ड की दिल्ली में बैठक बुलाई है। जहां पर चुनाव को लेकर आगे की रणनीति पर विचार किया जाएगा। इस बारे में लोक जनशक्ति पार्टी ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, 'दिनांक 7 सितम्बर को लोजपा बिहार संसदीय बोर्ड की बैठक दोपहर 2 बजे नई दिल्ली में रखी गई है. इस बैठक में लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के साथ बोर्ड के अध्यक्ष विधायक राजू तिवारी व बिहार प्रदेश अध्यक्ष सांसद प्रिन्स राज व अन्य सदस्य मौजूद रहेंगे।