डेस्क.. आजकल लोग टेक्नोलॉजी,लैपटॉप और कंप्यूटर पर कुछ ज्यादा ही निर्भर होते जा रहे है नतीज़ा लोगों में हाथ की झनझनाहट या सूनापन होने की घटनाएं सामने आ रही हैं. लैपटॉप पर काम करने से एक बीमारी उभरकर आई है जिसे डॉक्टर कार्पल टनल सिंड्रोम नाम दे रहे है. 8-9 घंटे काम के दौरान खराब मुद्रा की वजह से स्वास्थ्य की एक और अन्य समस्या उभरकर आई है और वह है सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस. अगर आप वर्क फ्रॉम होम या दफ्तर में काम कर रहे हैं और बैठने की सही पोस्चर में बैठे . लोग कोरोना के महामारी से बचाव के लिए तो घर में रह रहे है लेकिन उसने लैपटॉप के स्क्रीन पर बहुत समय बिताना शुरू कर दिया है लैपटॉप का ज्यादा और निरंतर इस्तेमाल, मगर निरंतर खराब मुद्रा के साथ काम, हड्डी और मांसपेशियों और यहां तक कि खराब आंख की समस्याओं का कारण बन रहा है. कार्पल टनल सिंड्रोम भी महामारी के कारण स्वास्थ्य को प्रभावित करनेवाली वजहों में से एक हो सकता है.
क्या लैपटॉप पर काम करने से कार्पल टनल सिंड्रोम हो सकता है?
इसका सीधा जवाब है, हां. डॉक्टरों ने कुछ ऐसे लक्षणों की पहचान की है जो लैपटॉप पर खराब मुद्रा में बैठने के कारण होता है. दरअसल, कार्पल टनल सिंड्रोम हाथ और कलाई में पैदा होने वाला दर्द है. 8-9 घंटे काम के दौरान खराब मुद्रा की वजह से एक अन्य समस्या सर्वाइकल स्पोंडिलोसिस है. विशेषज्ञों और शोधकर्ताओं ने इंटरनेट की लत, सोशल मीडिया का इस्तेमाल, निरंतर काम के दबाव को इस तरह की परेशानी का मुख्य कारण माना है.
कार्पल टनल सिंड्रोम हाथ और कलाई में पैदा होने वाला दर्द है
कार्पल टनल हड्डियों और कलाई की एक संकरी नली होती है. ये नली हमारी मीडियन नर्व की सुरक्षा करती है. मीडियन नर्व हमारे अंगूठे, मध्य और अनामिका अंगुलियों से जुड़ी होती है. कार्पल टनल सिंड्रोम एक एसी स्थिति है जिससे हाथ में लक्षण जैसे सुन्नता, कमजोरी, और झुनझुनी होती है. कार्पल टनल सिंड्रोम मीडियन नर्व पर दबाव पड़ने से होता है. ये नर्व बांह की लंबाई से कलाई के रास्ते गुजरती है और हाथ में जाकर खत्म होती है. ये नर्व गति और अंगूठे की उत्तेजना और कानी उंगली को छोड़कर सभी उंगलियों को काबू करता है.