बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

लेमन ग्रास की खेती के लिये एक साल लगायें फसल और 5 साल तक काटें उपज- डॉ. प्रेम कुमार

लेमन ग्रास की खेती के लिये एक साल लगायें फसल और 5 साल तक काटें उपज- डॉ. प्रेम कुमार

GAYA : बिहार के कृषि मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने मुख्यमंत्री बागवानी मिशन एवं राष्ट्रीय बागवानी मिशन अन्तर्गत संचालित हो रही सगंधीय पौधों की खेती की योजना की जानकारी मगध प्रमण्डल के उप निदेशक, उद्यान राकेश कुमार से लिया. जानकारी लेने के बाद प्रेम ने कहा है कि किसानों को खेती से ज्यादा से ज्यादा लाभ दिलाने के लिये राज्य सरकार बहुत से योजनायें क्रियान्वित कर रही है. उसी में से एक योजना सगंधीय पौधों की खेती की है. 

उद्यान विभाग द्वारा क्रियान्वित इस योजना अन्तर्गत नीबूं की सुगन्ध वाले पौधे लेमन ग्रास, गुलाब की खुशबु  वाले पामा रोजा, मच्छर भगाने वाली दवा बनाने में उपयोग होने वाले सिट्रोनेला तेल के लिय जावा सिट्रोनेला, पिपरमिन्ट के लिये जापानी पुदीना, तुलसी के तेल एवं अर्क के लिये तुलसी, खस तेल एवं अर्क के लिये खस की खेती सहित अन्य सगन्धीय पौधों की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. सगन्धीय पौधों के लिये राज्य सरकार द्वारा एन॰एच॰एम॰ एवं सी॰एम॰एच॰एम॰ अन्तर्गत 20 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की सहायता राशि दी जा रही है. 

 साथ ही खेती के बाद फसल कटाई कर उसमें से तेल निकालने के लिये उपयोग में आने वाले आसवन यंत्र पर भी लागत का 50 प्रतिशत अथवा अधिकतम 2 लाख 50 हजार रुपये सहायता के रुप में दिया जा रहा है. गया जिला के किसान सगंधीय पौधों की खेती की ओर आकर्षित हुये हैं और समूह बनाकर जापानी पुदीना एवं लेमन ग्रास की खेती कर रहे हैं.  

मंत्री ने कहा कि लेमन ग्रास की खेती के लिये फसल लगाने का उचित समय जुलाई माह होता है. एक बार फसल लगाने के बाद उससे 5 साल तक कटाई की जा सकती है. एक एकड़ से 100 लीटर तेल प्रति कटाई प्राप्त हो जाता है. तेल की कीमत अन्तर्राष्ट्रीय बाजार द्वारा निर्धारित होती है जो 1200 से 1500 रुपये प्रति लीटर तक हो सकती है. दूसरे साल से एक वर्ष में तीन कटाई तक की जा सकती है. जानवरों के नहीं खाने से इन फसलों में नुकसान की संभावना बहुत कम होती है और एक बार तेल निकाल के लंबे समय तक भण्डारित कर रखा जा सकता है और मनचाहा मूल्य मिलने पर बेचा जा सकता है. योजना का लाभ लेने के लिये जिलों के सहायक निदेशक, उद्यान अथवा प्रखण्डों के प्रखण्ड उद्यान पदाधिकारियों से सम्पर्क किया जा सकता है. 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट

Suggested News