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पंचायत की तरह विधान परिषद चुनाव में भी नए चेहरों का रहा दबदबा, पहली बार सदन की सीढ़ियां दो तिहाई सदस्य

पंचायत की तरह विधान परिषद चुनाव में भी नए चेहरों का रहा दबदबा, पहली बार सदन की सीढ़ियां दो तिहाई सदस्य

PATNA : बिहार के पंचायत चुनाव में यह देखा गया था कि ग्रामीण मतदाताओं ने पुराने दिग्गजों की जगह नए चेहरों पर भरोसा जताया था। पंचायत चुनाव में जनता ने 80 फीसदी नए चेहरों को मौका दिया था। अब बारी थी इन नए चेहरों की कि वह भी जनता के भरोसे को आगे बढ़ाएं। विधान परिषद चुनाव में ऐसा ही देखने को मिला। 24 सीटों पर हुए विधान परिषद चुनाव में जीतनेवाले 16 सदस्य ऐसे हैं, जो पहली  बार सदन में पहुंचे हैं। चुनाव में खड़े 185 उम्मीदवारों में सिर्फ एक  तिहाई चेहरे ही दोबारा चुनाव जीतने में कामयाब हुए। जबकि दो  तिहाई  नए सदस्य बने हैं। हालांकि नए बने सदस्यों में अधिकतर का बैकग्राउंड राजनीति से जुड़ा हुआ है।

गया में पहली बार जीते

गया में जीत की प्रबल दावेदार माने जानेवाली जदयू की  मनोरमा देवी को परास्त करनेवाले रिंकू यादव पहली बार जीते हैं। मगध क्षेत्र में बाहुबल के लिए चर्चित पुराने दिग्गज विधायक के करीबी रिश्तेदार हैं। इसी तरह औरंगाबाद में पहली बाद दिलीप सिंह को जीत हासिल हुई है। वह भाजपा की टिकट पर जीते हैं पर उनका अपना राजनीतिक बैकग्राउंड रहा है। इसी तरह से पटना से पहली बार सदन पहुंचनेवाले मास्टर कार्तिकेय और अनंत सिंह का रिश्ता जगजाहिर है। विधानसभा में अनंत सिंह के चुनाव की कमान उन्हीं के जिम्मे रही है।

निर्दलीय प्रत्याशी के भी  राजनीतिक  रिश्ते

कुछ जगहों पर निर्दलीय प्रत्याशी भी जीतकर उच्च सदन पहुंचे  हैं। इनमें मधुबनी से जीतनेवाली अंबिका गुलाम यादव भी शामिल हैं। वह पहली बार किसी सदन में जा रही हैं। उनके पति गुलाब यादव राजद की टिकट पर विधायक रहे हैं। उनकी जीत को भी महत्व दिया जा रहा। 


जदयू विधायक के भाई हैं बेगूसराय से जीतनेवाले राजीव सिंह

चुनाव में कांग्रेस  को एकमात्र सीट बेगूसराय में मिली। यहां  से कांग्रेस के टिकट पर खड़े राजीव सिंह निवर्तमान एमएलसी भाजपा के रजनीश को हराया। चुनाव में उलटफेर करनेवाले राजीव सिंह का राजनीतिक बैकग्राउंड यह है कि वह पूर्व मंत्री व जदयू नेता आरएन सिंह के पुत्र हैं। उनके भाई संजीव परबत्ता से जदयू के विधायक हैं। 

बेगूसराय के राजीव सिंह भी पहली बार जीतकर विधान परिषद जा रहे हैं। वह कांग्रेस की टिकट पर जीते हैं। उन्होंने भाजपा के पुराने विधान पार्षद रजनीश को हराया है। राजीव सिंह का राजनीतिक बैकग्राउंड यह है कि वह पूर्व मंत्री व जदयू नेता आरएन सिंह के पुत्र हैं। उनके भाई संजीव परबत्ता से जदयू के विधायक हैं। 

समस्तीपुर से तरुण कुमार भी पहली बार जीते हैं। मुंगेर से अजय सिंह भी पहली बार जीते हैं। भागलपुर से विजय सिंह भी पहली बार किसी सदन में जा रहे। वैसे वह काफी पहले से चुनावी राजनीति में हैं। सहरसा से अजय सिंह के लिए भी सदन में जाने का पहला मौका है।

यह भी पहली बार पहुंचेंगे विधान परिषद

सिवान से विनोद जायसवाल भी पहली बार जीत कर जा रहे। इसी तरह गोपालगंज से राजीव सिंह के लिए भी यह प्रथम मौका है। सीतामढ़ी में रेखा देवी, वैशाली से भूषण राय, नवादा से अशोक यादव व बेतिया से इंजीनियर सौरभ भी पहली बार किसी सदन में जा रहे। अशोक यादव का राजनीतिक बैकग्राउंड यह है कि वह राजवल्लभ यादव के रिश्तेदार हैं। पूर्वी चंपारण से विजयी रहे महेश्वर सिंह भी पहली बार विधान परिषद में होंगे। हालांकि, वे इससे पहले विधानसभा के सदस्य रह चुके हैं। 

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