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राष्ट्रकवि दिनकर की जन्मभूमि में साहित्य महाकुंभ की हुई शुरुआत, जय सियाराम से गूंजा सिमरिया

राष्ट्रकवि दिनकर की जन्मभूमि में साहित्य महाकुंभ की हुई शुरुआत, जय सियाराम से गूंजा सिमरिया

BEGUSARAI : राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की जन्मस्थली सिमरिया धाम में शनिवार से 9 दविसीय रामकथा का आगाज हुआ। शनिवार को रामकथा वाचक मोरारी बापू ने इसकी शुरुआत की। साहित्य महाकुंभ के दौरान आयोजित मोरारी बापू की रामकथा को सुनने के लिए देश के विभिन्न हिस्सों से श्रद्धालुओं का सिमरिया धाम पहुंचना जारी है।

महाकुंभ स्थल पर हेलिकॉप्टर से मोरारी बापू के पहुंचते ही आयोजन समिति के सदस्यों के द्वारा स्वागत किया गया। इसके बाद वे सीधे सड़क मार्ग से राष्ट्रकवि दिनकर के गांव पहुंचे। दिनकर जी के घर पर जाकर उन्होंने इस मिट्टी को नमन किया एवं दिनकर की तमाम स्मृतियों का अवलोकन किया। दिनकर के गांव से बापू सीधे साहित्य महाकुंभ स्थल पर पहुंच कर मां गंगा को नमन करते हुए कथा स्थल पर पहुंचे। 

रामकथा प्रारंभ करने से पहले मोरारी बापू ने राष्ट्रकवि दिनकर  की भूमि सिमरिया को नमन करते हुए दिनकर को बलवंत, शीलवंत बताया। उन्होंने कहा कि  मैंने पहले सरस्वती की वंदना की और अब गंगा की वंदना के साथ रामकथा प्रारंभ  कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस नाना पुराण  निगमागम एक सर्वस्पर्शी, सर्वग्राही एवं सर्वकल्याणकारी कथा है जिसमें  संपूर्ण देश की संस्कृति, आचरण एवं मर्यादित जीवनशैली का उल्लेख है। 

मोरारी बापू ने कहा कि तुलसी की रामायण लोकभाषा, लोक आचरण का सर्वोतम ग्रंथ है।  रामचरितमानस देश के आखिरी व्यक्ति से लेकर सर्वशक्तिमान कल्याणकारी राजा तक  की कथा है। उन्होंने रामकथा को परम कल्याणकारी बताया।

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