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RJD के बाद LJP का ऑपरेशनः एक बार फिर JDU के कद्दावर नेता 'ललन' सिंह का मिशन हुआ कामयाब

RJD के बाद LJP का ऑपरेशनः एक बार फिर JDU के कद्दावर नेता 'ललन' सिंह का मिशन हुआ कामयाब

PATNA: रामविलास पासवान की लोक जनशक्ति पार्टी टूट गई है। बेटे चिराग पासवान अब अकेले हो गये हैं। चाचा पशुपति कुमार पारस के साथ 6 मे 5 सांसद चले गये हैं। पांचों सांसदों ने राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान को सभी पदों से हटा दिया है और चाचा पशुपति कुमार पारस को अपना नेता चुन लिया है। उन्हें राष्ट्रीय अध्यक्ष के साथ संसदीय दल के नेता का जिम्मा भी सौंपा गया है। पारस ने अब पार्टी पर दावा ठोकने को लेकर चुनाव आयोग का दफ्तर खटखटाया है।आखिर यह सब कैसे हुआ? चिराग पासवान को भनक तक नहीं लगी और उनके पांच सांसद अलग हो गये। राजद के बाद अब लोजपा में गुप्त ऑपरेशन कामयाब हुआ है। जानकार बताते हैं कि इस सफल ऑपरेशन के पीछे जेडीयू के कद्दावर नेता ललन सिंह की सेटिंग काम कर गई। इसके पहले ललन सिंह ने लालू यादव जैसे धुरंधर को गच्चा देते हुए राजद के पांच विधानपार्षदों को तोड़ने का सफल ऑपरेशन पूरा किया था।  

ललन सिंह का एक और ऑपरेशन 

जेडीयू के कद्दावर नेता और सांसद ललन सिंह से लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस काफी दिनों से संपर्क में थे। पारस लोजपा सुप्रीमो चिराग पासवान से काफी दिनों से नाराज चल रहे थे।लेकिन उनका मिशन कामयाब नहीं हो रहा था। मिशन को कामयाब बनाने को लेकर वे रविवार से पहले तीन दिनों तक वे पटना में रहे। इस दौरान पशुपति कुमार पारस जेडीयू सांसद ललन सिंह से मिलने उनके आवास गये। दोनों नेताओं के बीच काफी देर तक लंबी वार्ता हुई और इसी के साथ लोजपा में टूट की पटकथा लिख दी गई। ललन सिंह लोजपा के सांसदों को एकजुट करने का बीड़ा उठा लिया। जानकार बताते हैं कि वरिष्ठ नेता सूरजभान सिंह और सांसद चंदन सिंह को इसके लिए तैयार कराया। खगड़िया के लोजपा सांसद महबूब अली कैसर को पाले में लाने के लिए जेडीयू नेता महेश्वर हजारी को लगाया गया। ललन सिंह के मिशन के अनुरूप महेश्वर हजारी ने कैसर को भी इसके लिए तैयार करा लिया।फिर प्रिंस राज और वीणा सिंह को भी चिराग का साथ छोड़ने पर मजबूर कर दिया। रविवार को सभी नेता दिल्ली पहुंच गये और छह सांसदों वाली लोजपा के पांच सांसद एक साथ आकर लोकसभा अध्यक्ष को चिट्ठी सौंप दी।  


लोजपा के एकमात्र विधायक को जेडीयू में मिला लिया

बता दें इसके पहले जेडीयू के कद्दावर नेता और मुंगेर के सांसद ललन सिंह ने लोजपा के एक मात्र विधायक राजकुमार सिंह को पार्टी में शामिल करा लिया। 2020 में ललन सिंह ने राजद पर सर्जिकल अटैक किया था। ललन सिंह के गुप्त ऑपरेशन में रातो-रात लालू यादव के पांच विधानपार्षद जेडीयू के खेमे में आ गए थे। लालू और तेजस्वी को तब पता चला था जब पांचों विधायक विधानपरिषद में जाकर सभापति से मुलाकात कर ली थी। वे पांचों विधानपार्षद थे...राधा चरण सेठ, संजय प्रसाद, रणविजय सिंह, दिलीप राय और कमरे आलम. कमरे आलम तब राजद के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव के पद पर थे। 

अकेला हो गये चिराग

लोजपा सांसद पशुपति कुमार पारस, चौधरी महबूब अली कैसर, वीणा सिंह, चंदन सिंह और प्रिंसराज एक साथ आ गए। लोजपा में बगावत के बाद पहली दफे मीडिया के सामने आये पशुपति कुमार पारस ने कहा कि लोजपा को तोड़ा नहीं बल्कि बचाया है। आगे उन्होंने और साफ किया किया आखिर लोजपा को बचाया कैसे .....रामविलास पासवान के भाई और हाजीपुर से सांसद पारस ने कहा कि लोजपा में असामाजिक तत्व घुस आया था। असमाजिक तत्व की वजह से पार्टी का अस्तित्व खत्म हो रहा था। 99 फीसदी वर्कर की भावनाओं को ठेस पहुंचाया जा रहा था। लोजपा ने गलत तरीके से एनडीए गठबंधन से नाता तोड़ा जिस वजह से पार्टी बिहार में खत्म होने के कगार पर पहुंच गई थी। 

लोजपा में असमाजिक तत्व कौन ?

पशुपति कुमार पारस ने आखिर किसे असामाजिक तत्व कहा? किसकी वजह से लोजपा के खात्मे की बात कही? दरअसल पारस ने बिना नाम लिये चिराग पासवान के सर्वेसर्वा और सलाहकार पर सीधा अटैक किया । उनका निशाना उस शख्स पर था जिसकी वजह से पार्टी की ये स्थिति हो गई है। पारस ने जिसे असमाजिक तत्व कहा उसके नाम से ही पार्टी के नेता परेशान हो जाते हैं। क्यों कि एक शख्स की वजह से पूरी पार्टी परेशान थी। सांसदों का भी कोई वैल्यू नहीं था। पशुपति पारस की भाषा में कहें तो अकेला वह असमाजिक तत्व ने लोजपा को तबाह कर दिया था। 

चिराग के एकतरफा फैसले लेने से सभी नाराज थे
चिराग पासवान का एक तरफा फैसला लेना उनकी पार्टी के लिए नासूर बन गया था। चिराग पार्टी नेताओं से सलाह लिए बिना एकतरफा फैसले लेते रहे थे। चिराग के सबसे करीबी सलाहकार से पूरी पार्टी के नेता नाराज चल रहे थे। क्योंकि चिराग वही फैसले ले रहे थे, जिनमें सौरभ की सहमति होती थी। इस वजह से LJP के ज्यादातर बड़े और कद्दावर नेता नाराज चल रहे थे।

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