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लॉकडाउन ने खोली नई राह, अब घर पर रहकर 'आत्मनिर्भर' हो रही हैं अप्रवासी महिलाएं, हर दिन हो रही है 500 की आमदनी

लॉकडाउन ने खोली नई राह, अब घर पर रहकर 'आत्मनिर्भर' हो रही हैं अप्रवासी महिलाएं, हर दिन हो रही है 500 की आमदनी

बेतिया। जहां चाह वहां राह कहावत यह पूरी तरह से चरितार्थ कर रही है पहाड़ों के बीच रह रही प.चंपारण के गौनाहा प्रखण्ड के जमुनिया पंचायत के बिशुनपुरवा गाव की थारु महिलाएं जो लॉकडाउन मे बाहर से आकार अपनी जीविका का साधन खुद एक छोटा सा बेकरी लगा चला रही हैं। आज अपने घर में ही रहकर खुशहाल जिंदगी जी रही हैं।

भारत में लॉकडाउन मे बाहर से जब मजदूर अपने अपने घरों के तरफ पलायन किए तो सबसे बड़ी चुनौती उनके सामने सुरसा की तरह मुह खोले भुखमरी की समस्या आड़े आ रही थी। तो वहीं गौनाहा की थारु महिलाए मीरा देवी के नेतृत्व मे जीविका से जुड़ एक समूह बना एक छोटा सा बेकरी का कुटीर उद्योग लगाया। जहा पहले तो कम मात्रा में बिस्कुट बनाती थी लेकिन मांग बढ़ते ही उसे थोड़ा विस्तार कर आज यहां छोटा पाव, बड़ा पाव, पावरोटी सहीत कई तरह का बिस्कुट बनाने का काम भी शुरू कर दिया गया। आज यहां काम करनेवाली महिलाएं खुश हैं कि वह अपने घर पर रहकर रोजगार कर रही हैं।

हो रही है अच्छी कमाई

 यहां काम कर रही मंजु देवी , अनीता देवी ने बताया की पहले हमलोग दिल्ली , मुंबई जगहो पर रहकर बेकरी का काम कराते थे और अपना व अपने परीवार का भरण पोषण करते थे। जब लॉकडाउन लगा तो सभी काम बंद हो गया तो हमलोगों के सामने भुखमरी का एक बड़ी समस्या बनते जा रही थी तो वह से किसी तरह से जब पता चला की सरकार द्वारा हमलोगों को अपने प्रदेश भेजने के लिए गाड़ी दे रही है तो वहां से हमलोग आए यहां आने के बाद भी भुखमरी बड़ी समस्या थी। यहां पर तब हमलोगों को पता चला की मीरा दीदी जीविका का समूह बना एक बेकरी का उद्योग लगा रही हैं तो हमलोग भी यहा काम करने लगे और आज यहा हमलोग अच्छा पैसा कमा लेते हैं, जिससे हमारा व हमारे परीवार का भरण पोषण आसानी से हो जाता है। अब हमलोग बाहर नही जाएँगे काम करने अब यही रहकर अपना व अपने परिवार का भरण पोषण करेंगे।  वहीं इस बेकरी के मुख्य कारीगर गुंजन काजी ने बताया की यहा पर हमलोग 400 रुपया प्रतीदिन कमा लेते है। लॉक डाउन मे हम सभी यहां जो भी काम कर रहे है किसी तरह से बाहर से आए अपने गृह जिला। अब हमलोग बाहर नही जाएँगे सरकार से कुछ पैसा मिल जाता तो इसे और भी बढ़ाने का काम करते हैं।वहीं इस बेकरी मे भेंडर का काम कर रहे गंगा महतो ने बताया की यहा का बिस्कुट , पावरोटी बड़ा ही उत्तम क्वालिटी का बनता है जो कि बिकने मे कोई दिक्कत नही होता है। 

इस संबंध मे इसकी संचालिका मीरा देवी ने बताया कि आज यहां 12 से 13 महिला और पुरुष मिलकर काम कर रहे है और अच्छी आमदनी अर्जित कर रहे हैं। कोरोना काल मे यहां आने के बाद एक बहुत बड़ी समस्या इनलोगों के सामने आया था तो एक समूह बना पहले जीविका समूह से जुड़ कर बेकरी का काम शुरू किया गया। जब अच्छी आमदनी होने लगी तो इसे और बढ़ा दिया गया। यहां जो भी हमलोगों मुनाफा होता है वह सभी हम अपने जीविका समूह मे बराबर बराबर भाग मे बांट देने लगी। साथ ही उन्होने कही की मोदी या बिहार की नीतीश सरकार हमलोगों को थोड़ा सहयोग कर देती है तो इसे और भी बड़ा रूप देंगे। फिलहाल हमलोगो ने राय कर इस बेकरी का नाम हनुमंत बेकरी भी दे दिया है |

इस संबंध मे इस पंचायत के मुखिया सुनील गढ़वाल ने बताया की मीरा देवी एक जीविका समूह से जुड़ आज बेकरी का काम कर कई महिला पुरुष को रोजगार देने का काम कर रही है। अभी फिलहाल यहा दो शिफ्ट मे काम हो रहा है। 12 से 13 लोगों को फिलहाल रोजगार मिला है यहां। लॉक डाउन मे इन प्रवासी मजदूरो के लिए अपने गृह जिला आना वरदान साबित हुआ है |


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