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लोकसभा में मानसून सत्र पर फिरा पानी, विपक्ष के अड़ियल रवैये से सदन का 78 फीसदी काम प्रभावित, OBC समेत 20 बिल हुए पास

लोकसभा में मानसून सत्र पर फिरा पानी, विपक्ष के अड़ियल रवैये से सदन का 78 फीसदी काम प्रभावित, OBC समेत 20 बिल हुए पास

दिल्ली. लोकसभा के मानसून सत्र की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गई है. इस बीच लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने कहा कि सदन की कार्यवाही मात्र 22 प्रतिशत ही प्रोडक्टिव रही. उन्होंने कहा कि कुल 96 घंटे की कार्यवाही में मात्र 21 घंटे 14 मीनट ही सदन चला, जबकि 74 घंटा 46 मीनट सदन का बर्बाद हुआ. उन्होंने कहा कि इस दौरान कुल 20 बिल पास हुए. इसमें ओबीसी विधेयक सर्वसम्मति से पास हुआ. बता दें कि सदन की कार्यवाही तय समय से दो दिन पहले ही स्थगित हो गई है.

स्पीकर बिरला ने कहा कि मेरी कोशिश थी कि सदन पहले की तरह चलता और सब विषयों पर चर्चा और संवाद होता. सभी सदस्य चर्चा करते, जनता के विषय रखते, लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया. बिरला ने कहा कि वे परंपराओं के अनुरूप सत्र से पहले सभी दलों के नेताओं से चर्चा करते हैं और उनके मुद्दे जानने का प्रयास करते हैं. उन्होंने कहा कि गतिरोध वाले कुछ मुद्दों पर वह दलों के नेताओं से चर्चा करते हैं और समाधान निकालने का प्रयास करते हैं. इस दिशा में प्रयास किये गए लेकिन कई मुद्दों पर सफलता नहीं मिली.


मानसून सत्र की बैठक 19 जुलाई से शुरू होने के बाद से ही लोकसभा की कार्यवाही बाधित रहने के बारे में पूछे जाने पर लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सहमति-असहमति लोकतंत्र की विशेषता है. कई मुद्दों पर सहमति नहीं बन पाती है, गतिरोध बना रहता है. उन्होंने कहा कि हमने इस दिशा में संवाद के जरिये कोशिश की है और भविष्य में और कोशिश करेंगे.

सदन में आसन के समीप सदस्यों द्वारा तख्तियां, पोस्टर लहराने के बारे में एक सवाल के जवाब में बिरला ने कहा कि हमारी अपेक्षाएं रहती हैं कि संसद की उच्च मर्यादाओं को बनाए रखें. इस सदन में वाद-विवाद भी हुए हैं, सहमति-असहमति भी रहती हैं लेकिन सदन की मर्यादाएं बनी रही हैं. लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि आसन के समीप नहीं आना, तख्तियां नहीं लाना और पोस्टर नहीं दिखाना आदि के बारे में नियमों में उल्लेख है.

उन्होंने कहा कि उनकी विभिन्न दलों के नेताओं से बात होती है, तब उनसे भी कहते हैं कि अपनी बात संसदीय प्रक्रियाओं एवं मर्यादा के दायरे में कहें. सभी से अपेक्षा की जाती है कि वे नियम प्रक्रियाओं का पालन करें. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि यह चिंता की बात है कि करोड़ों रुपये संसद की कार्यवाही पर खर्च होते हैं और जब सदन नहीं चलता है तब जनता दु:खी होती है. इसके कारण मुझे भी दु:ख होता है.

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