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नवरात्री विशेष : असम के कामाख्या शक्तिपीठ के समान है गया का माँ मंगला गौरी मंदिर, भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

नवरात्री विशेष : असम के कामाख्या शक्तिपीठ के समान है गया का माँ मंगला गौरी मंदिर, भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी

GAYA : गया के भस्मकूट पर्वत पर स्थित शक्तिपीठ मां मंगला गौरी मंदिर में नवरात्रि के मौके पर भक्तों का तांता लग जाता है। इस साल नवरात्र को लेकर यहाँ पहले दिन से ही भक्तों की भीड़ लग रही है। दूरदराज के इलाकों से श्रद्धालू यहां पूजा करने के लिए आ रहे है। 


हर रोज सुबह से ही यहाँ पूजा अर्चना का दौर शुरू हो जाता है। मान्यता है कि यहां मां सती का वक्ष स्थल (स्तन) गिरा था। जिस कारण या शक्ति पीठ पालनहार पीठ के रूप में प्रसिद्ध है। 

बताया जाता है कि भगवान शिव जब अपनी पत्नी सती के जले हुए शरीर को लेकर आकाश में व्याकुल होकर घूम रहे थे। तब माता सती के शरीर के टुकड़े देश के विभिन्न हिस्सों में गिरे थे। इन स्थानों को शक्तिपीठों के रूप में जाना जाता है। इन्हीं में से एक गया का मंगला गौरी मंदिर मंदिर है। यहां के गर्भ गृह में काफी अंधेरा रहता है। लेकिन यहां वर्षों से एक दीप प्रज्वलित हो रहा है। कहा जाता है यह कभी नहीं बुझता है।

मंगलागौरी शक्तिपीठ को असम के कामरूप स्थित मां कमाख्या देवी शक्तिपीठ के समान माना जाता है। कालिका पुराण के अनुसार, गया में सती का स्तन मंडल भस्मकूट पर्वत के ऊपर गिरकर दो पत्थर बन गए थे। इसी प्रस्तरमयी स्तन मंडल में मंगलागौरी मां नित्य निवास करती हैं। जो मनुष्य शिला का स्पर्श करते हैं, वे अमरत्व को प्राप्त कर ब्रह्मलोक में निवास करते हैं। इस शक्तिपीठ की विशेषता यह है कि मनुष्य अपने जीवन काल में ही अपना श्राद्ध कर्म यहां संपादित कर सकता है। 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट 

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