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माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर नियोजित शिक्षकों का तीन दिवसीय आंदोलन खत्म...धऱना को सत्ता पक्ष और विपक्ष का भी मिला समर्थन

माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर नियोजित शिक्षकों का तीन दिवसीय आंदोलन खत्म...धऱना को सत्ता पक्ष और विपक्ष का भी मिला समर्थन

PATNA: बिहार विधानमंडल के समक्ष माध्यमिक शिक्किषक संघ के आहवान पर नियोजित शिक्षकों का तीन दिवसीय धरना -प्रदर्शन कार्यक्रम खत्म हो गया है।अपनी मांगों के समर्थन में संघ 26 नवंबर से आंदोलन की शुरूआत की थी। संघ के आंदोलन में पूरे बिहार के शिक्षक शामिल हुए।शिक्षकों के समर्थन में सत्ता पक्ष के विधानपार्षद भी आए और मांगों का समर्थन किया।अंतिम दिन संघ के अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय ने कहा कि सरकार नियोजित शिक्षकों को प्रताड़ित, शोषित एवं उनकी मांगों को हमेशा दरकिनार करती है .क्योंकि सरकार नहीं चाहती कि राज्य की सरकारी शिक्षा व्यवस्था चुस्त व दुरुस्त हो। इसका कारण है कि इन संस्थानों में उनके बच्चे नहीं पढ़ते। इन संस्थानों में पढ़ने वाले दलित, शोषित और गरीब के बच्चों को बेहतर शिक्षा से महरुम रख उनके साथ भी छल कर रही है सरकार।   

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर राज्य के नियोजित शिक्षकों व  पुस्तकालयाध्यक्षों के चार वर्षों से लंबित सेवाशर्त नियमावली के निर्धारण, मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद भी सातवां वेतन आयोग की अनुशंसा के आलोक में वेतनमान लागू करने सहित विभिन्न लंबित मांगों को लेकर विधानमंडल के समक्ष धरना दे रहे थे। 

केदारनाथ पांडेय ने कहा कि राज्य सरकार अपने ही द्वारा बनाई गई मुचकुंद दूबे कमेटी की समान शिक्षा प्रणाली की अनुशंसाओं को मान लेती तो आज शिक्षक धरना देने की बजाए विद्यालयों के वर्ग कक्ष में अपनी योग्यता व तन्मयता के साथ पठन-पाठन का कार्य कर रहे होते।  उन्होंने कहा कि संघ समान वेतनमान के साथ समान शिक्षा की भी लड़ रहा है। इस धरना कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम दिन पटना, मगध, सारण प्रमंडल अंतर्गत जिलों के हजारों की संख्या में शिक्षक, पुस्तकालयाध्यक्ष सहित प्रखंड से प्रमंडल स्तर के संघीय पदाधिकारियों ने अपनी आवाज बुलंद की।

अगले महीने होगी राज्य  कार्यसमिति की बैठक

संघ के मीडिया प्रभारी सह प्रवक्ता अभिषेक कुमार ने बताया कि इस तीन दिवसीय धरना में राज्य के कोने-कोने हजारों हजार की संख्या में शिक्षक जुट कर अपनी चट्टानी एकता को प्रदर्शित किया। यदि सरकार इसके बाद भी नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों की सभी मांगे पूरी नहीं करती तो तेज और धारदार आंदोलन शुरू किया जाएगा। उन्होंने कहा कि अगले महीने संघ की राज्यकार्य समिति की बैठक बुलाई गई है जिसमें आगे के आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी।

तीन सूत्री मांगें

1. नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के सेवाशर्त नियमावली को अविलंब लागू करें। नियमावली में प्रमुख रूप से इन विंदुओं को शामिल किया जाए

क. सेवा निरंतरता-सभी सेवाओं को एक साथ जोड़ने के लिए। 

ख. नियमित शिक्षकों की भांति नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को भी 10 वर्ष, 20 वर्ष, 30 वर्ष की सेवा पर ऊपर के ग्रेड में प्रोन्नति।   

ग. नियोजित शिक्षकों को उपप्रधानाध्यापक और प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति।

घ. नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को ईपीएफ की सुविधा। 

ड़. नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को जिला से बाहर ऐच्छिक स्थानांतरण की सुविधा। 

2. समान कार्य समान वेतन के समक्ष सातवें वेतनमान में लागू माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल-7 का मूल प्रवेश वेतन 44,900 व उच्च माध्यमिक शिक्षकों के लिए लेवल-8 में मूल प्रवेश वेतन 47,600 लागू करने के लिए। 

3. सभी कोटि के नियोजित शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों को विभिन्न प्रकार के गैर-शैक्षणिक कार्य से मुक्त करने के लिए।

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