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नक्सल प्रभावित इलाके में शिक्षा का अलख जगा रहा मगध सुपर 30, संवर गयी है सैंकड़ों छात्रों की जिंदगी

नक्सल प्रभावित इलाके में शिक्षा का अलख जगा रहा मगध सुपर 30, संवर गयी है सैंकड़ों छात्रों की जिंदगी

GAYA : पटना से चलनेवाले सुपर थर्टी का नाम देश ही बल्कि विदेशों तक है. इसपर बनी फिल्म ने भी तहलका मचाया है. लेकिन आज हम रूबरू कराते हैं एक गुमनाम सुपर थर्टी से, जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों के सैकड़ों बच्चों का जीवन संवर चुका है. यह सिलसिला लगातार आज भी जारी है. 

दरअसल बिहार के तत्कालीन डीजीपी अभयानंद के मार्गदर्शन में शहर के कुछ समाजसेवियों द्वारा गया में वर्ष 2008 में मगध सुपर थर्टी की स्थापना की गई थी. उद्देश्य था नक्सल प्रभावित इलाकों के बच्चों का भविष्य संवारना. यह शिक्षण संस्थान गुरुकुल के तर्ज पर संचालित होता है. बच्चे एवं बच्चियों को यहां नि:शुल्क पढ़ाया जाता है. उनके लिये भोजन, किताबें इत्यादि की व्यवस्था समाज की ओर से दी गयी आर्थिक मदद से की जाती है. शहर के कई ऐसे लोग हैं जो नियमित रूप से इस संस्थान को आर्थिक सहायता देते हैं. 

शहर के नामचीन शिक्षक अपनी सेवाएं मुफ्त में देते हैं. बच्चों का ईलाज और दवाईयां शहर के चिकित्सक फ्री में मुहैया कराते हैं. समाज के इस दरियादिली का एहसान यहां के बच्चे जी तोड़ मेहनत कर अपनी सफलता के परचम लहराकर चुकाते हैं. अभी तक सैकडों बच्चे यहां से पढ़कर सफल होकर अपना जीवन संवार चुके हैं. मगध सुपर थर्टी के सचिव पंकज कुमार बताते हैं कि जिन बच्चों ने यहां से पढ़कर बेहतर जॉब पाया है. अब वे भी संस्थान को आर्थिक मदद कर रहे हैं. छुट्टियों में वे भी यहां के बच्चों को पढ़ाने आते हैं. 

संस्थान के सीनियर बच्चे अपने जूनियर को पढ़ाते हैं. यही नही पूर्व डीजीपी अभयानंद के द्वारा भी रात में वीडियो कॉलिंग के माध्यम से बच्चों को पढ़ाया जाता है. संस्थान में दाखिला प्रवेश परीक्षा के आधार पर होता है. इस संस्था की बदौलत जिले के घोर नक्सल इलाका ईमामगंज थाना क्षेत्र के कई बच्चों ने भी  इंजीनियरिंग में सफलता पाई है. 

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट

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