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महागठबन्धन के माया में फंसे वामदलों को इतने ही सीटों को लेकर करना पड़ सकता है संतोष,कह दिया गया है कि इससे ज्यादा नहीं

महागठबन्धन के माया में फंसे वामदलों को इतने ही सीटों को लेकर करना पड़ सकता है संतोष,कह दिया गया है कि इससे ज्यादा नहीं

पटना:  बिहार विधानसभा चुनाव की रणभेरी बजने से पहले तमाम दल अपने अपने तरकश के तीर को तैयार करने में जुट गए हैं ।ताकि राजनीतिक जमीन पर वोट की अच्छी फसल काटी जाय। लेकिन इन सबों के बीच कभी बिहार की राजनीति में अहम भूमिका निभाने वाले वाम दलों की कोई सुध नहीं ले रहा है और न हीं उनमें कुछ स्वयं का विशेष सुगबुगाहट दिखाई दे रहा है। यह तो वक्त बतयेगा की लाल झंडाबरदारों का डंडा किस खेमे के शामियाने का खुट्टा बनता है। लेकिन जानकार बताते हैं बिहार में सक्रिय तीन प्रमुख वाम दलों का दिल महागठबन्धन के माया मोह में कुछ ज्यादा ही रचा बसा हुआ है, साथ मे यह भी कहने से नहीं चूकते की महागठबन्धन में हिस्सेदारी के तौर पर इन्हें हाय तौबा मचाने के बावजूद बहुत कुछ हाथ नहीं लगने वाला है

20 से 22 सीटों पर करना पड़ सकता है संतोष
अस्सी से 90 के दशक में बिहार की राजनीति का रास्ता तय करने का माद्दा रखने वाले वामपंथी दलों की काया लालू यादव की माया में विलीन हो गयी। धीरे धीरे करके लालू प्रसाद ने वामपंथी दलों को इतना कमजोर कर दिया कि बाद में वे लालुवाद से आबाद होने लगे। परिणाम यह हुआ कि बिहारी राजनीति में कम्युनिष्ठों के रास्ते कठिन हो गये। अब एक बार फिर बिहार विधानसभा का चुनाव सिर पर है लेकिन वामदलों में जो सक्रियता दिखाई देनी चाहिये थी वह नगण्य है। बताया जा रहा है कि  वामदलों का महागठबंधन से चुनावी तालमेल को लेकर बातचीत शुरू भी हो गई है. 2015 के विधानसभा चुनाव में वामदलों ने 243 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन तीन पर ही जीत हाथ लग पाई थी। बताया जा रहा है कि  इस बार वामदल महागठबंधन के साथ मिलकर सत्ता बदलना चाहते हैं। लेकिन जो खबर है उसके मुताबिक वामदलों को सीट बंटवारे में 20 से 22 सीटों पर ही संतोष करना पड़ सकता है. सीटों की यह संख्या वामदलों की उम्मीदों से काफी कम है.

वामदलों के सहारे RLSP-VIP को समझाने की कोशिश
फिर भी ऐसा बताया जा रहा है कि वामदल इससे से निराश नहीं है. वामदलों को राजद की ओर से बता दिया गया है कि अधिक सीटों की गुंजाइश नहीं है.लेकिन असल मुद्दा है राज्य में सत्ता परिवर्तन । फिलहला भाकपा और माले को 10-10 सीट और माकपा के लिए 2 सीट की बात कही जा रही है. इसमें कुछ सीटों की वृद्धि हो सकती है.सीट बंटवारे के समीकरण को समझे तो मांझी ने महागठबंंधन से नाता तोड़ दिया ,अब महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, रालोसपा, वीआईपी और वामदल ही बचे. वामदलों को अगर कम सीटें मिलती हैं तो जाहिर से बात ही रालोसपा और वीआईपी ज्यादा सीटों की मांग कर सकते हैं. अंदरखाने में जो चर्चा है उसके मुताबिक इन दोनों पार्टियों को समझाया जा रहा है कि वामदल अगर कम सीट पर राजी हैं तो दोनों पार्टियों को ज्यादा सीटों के लिए जिद्द नहीं करना चाहिए.

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