पटना... बिहार चुनाव 2020 का रिजल्ट जारी हो चुका है। इस चुनाव में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए एनडीए ने जहां स्टार प्रचारकों की लंबी फौज खड़ी कर रखी थी, वहीं दूसरी ओर चुनावी रण में तेजस्वी के अलावा या उनके समकक्ष कोई दूसरा स्टार प्रचारक महागठबंधन की ओर से नहीं दिखा। राजनीतिक पंडितों की मानें तो चुनाव में तेजस्वी से सबसे बड़ी चूक कांग्रेस को 70 सीट देना शायद भारी पड़ गया। अगर कांग्रेस 10 से 15 सीटें और ले आती तो आज सीएम तेजस्वी यादव होते। बहरहाल अब ये अतीत हो चुका हैं। अब महागठबंधन का चुनाव में हार का मंथन जारी है।
इस चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली और पूर्ण बहुमत को हासिल कर लिया। एनडीए में इस बार सबसे खास और अचंभित करने वाली पार्टी भाजपा रही। 74 सीट लाकर उसने जनता के बीच अपनी पकड़ को साबित कर दिया। इस बीच नीतीश कुमार ने भी बिहार के लिए मोदी को धन्यवाद दिया है।
महागठबंधन की ओर से सीएम कैंडिडेट तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बनने से चूक गए। हालांकि तेजस्वी की पार्टी राजद बिहार में सिंगल लार्जेस्ट पार्टी बनी। आइए जानते हैं, तेजस्वी यादव सीएम बनने से कहां चूक गए?
कांग्रेस का परफॉर्मेंस
इस चुनाव में महागठबंधन में सबसे खराब परफॉर्मेंस कांग्रेस का रहा। कांग्रेस 70 सीटों पर चुनाव लड़ी, लेकिन सिर्फ 20 सीटों पर जीती। कांग्रेस अगर 10-15 सीटों पर और बढ़त बना लेती तो तेजस्वी यादव सीएम की कुर्सी तक पहुंच सकते हैं।
तीसरे चरण में हुआ नुकसान
राजद और महागठबंधन को सबसे अधिक नुकसान तीसरे फेज में हुआ। तीसरे फेज के 78 सीटों में से 53 सीटों पर एनडीए की जीत हुई, बाकी के 25 में से 5 पर औवैसी की पार्टी जीत गई। माना जा रहा है कि तीसरे फेज तक आते-आते तेजस्वी यादव राजद के पक्ष में लोगों को मोड़ नहीं पाए।
बड़े नेताओं की हार भी बनी बड़ी वजह
राजद और महागठबंधन के बड़े नेता इस बार जीत नहीं पाए, जिसके कारण गठबंधन को नुकसान हुआ। राजद के कद्दावर नेता अब्दुल बारी सिद्दकी, भोला यादव और कांग्रेस की भावना झा, कृपानाथ पाठक चुनाव हार गए।