PATNA: बिहार विधानसभा में आज श्रम संसाधन विभाग में एक बड़ी गड़बड़ी पर चर्चा हुई। मंत्री ने स्वीकार किया कि गड़बड़ी हुई है और कार्रवाई करेंगे। सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने कहा कि महाराष्ट्र की जिस कंपनी को श्रम विभाग ने बेरोजगारों को ट्रेनिंग देने के लिए नॉलेज पार्टनर बनाया उसने भारी गड़बड़ी की और विभाग ने बिना काम के पेंमेंट किया है। इसलिए उच्च स्तरीय जांच कराई जाये। आरोपों की गंभीरता को देखते हुए विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने पूरे मामले की जांच सदन की कमेटी से कराने का आदेश दे दिया।
महाराष्ट्र की कंपनी ने किया घपला
श्रम संसाधन मंत्री जीवेश कुमार ने सदन में बताया कि एमकेसीएल कंपनी जो महाराष्ट्र की है उसे ट्रेनिंग का जिम्मा दिया गया था। उसने पोर्टल भी बनाना था। लेकिन उसने नहीं बनाया। 2020 में पोर्टल बनाया गया। जांच में यह पता चला है कि महाराष्ट्र की कंपनी एमकेसीएल ने 24 लाख 59 हजार रू से अधिक राशि ले लिया है। लेकिन आगे जब उसका भुगतान होगा उसमें से यह राशि काट ली जाएगी। इसकी जानकारी कंपनी को दे दी गई है। मंत्री ने बताया कि कंपनी को 2017 में कंपनी को पोर्टल बनाना था लेकिन उन्होंने नहीं बनाया। फिर भी उस अवधि का पेमेंट किया गया।
विस अध्यक्ष ने उच्च स्तरीय जांच के दिये आदेश
श्रम संसाधन मंत्री ने सदन में स्वीकार किया कि कंपनी ने गड़बड़ी की है। यह बात प्रमाणित हो गया है। इसमें कहीं न कहीं गलती हुई है। विभागीय स्तर पर इसकी जांच की जा रही है। मंत्री के इस स्वीकारोक्ति के बाद विपक्ष भी खड़ा हो गया और कहा कि यह वित्तीय मामला है इसकी उच्च स्तरीय कमिटि से जांच कराई जाये। सदस्यों ने कहा कि महाराष्ट्र की कंपनी ने करोड़ों का गबन किया है। विधायकों की मांग पर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने सदन की कमिटि बनाने की सिफारिश कर दी।