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कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म, एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर स्पीकर ने लिया फैसला

कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म, एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर स्पीकर ने लिया फैसला

NEW DELHI : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान तमाम विरोध पर विराम लगाते हुए टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की सदस्यता खत्म करने पर मुहर लग गई है। कैश फॉर क्वेरी केस में एथिक्स कमेटी की सिफारिश पर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला ने उनकी सदस्यता को खत्म करने को लेकर अपनी मंजूरी प्रदान कर दी। 

इससे पहले सत्र के पांचवे दिन टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ कैश-फॉर-क्वेरी आरोपों पर लोकसभा में एथिक्स कमेटी ने रिपोर्ट पेश किया गया। रिपोर्ट में महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की गई है। साथ ही रिपोर्ट में महुआ के खिलाफ आरोपों को गंभीर बाताया गया है और कार्रवाई की मांग की गई है। रिपोर्ट पेश होने के बाद संसद में विपक्षी सांसदों ने जमकर हंगामा किया और नारे लगाए। हंगामे को देखते हुए लोकसभा की कार्यवाही 2 बजे तक स्थगित कर दी गई। सदन की कार्यवाही शुरू होने के बाद स्पीकर ओम बिरला ने इस पर चर्चा के लिए समय दिया।

दोपहर 2 बजे से एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट पर चर्चा शुरू हुई. इस दौरान कांग्रेस सांसद ने पूछा कि महुआ मोइत्रा पर एक्शन की इतनी जल्दी क्या है? कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने कहा, महुआ को अपना पक्ष रखने का पूरा मौका मिलना चाहिए. कमेटी ये कैसे तय कर सकती है कि सांसद को क्या सजा दी जाए. इसका फैसला सदन करेगा.  ये न्याय के अधिकार के खिलाफ है.

मनीष तिवारी की आपत्ति पर ओम बिरला ने कहा, ये सदन है, कोर्ट नहीं है. न ही मैं न्यायाधीश हूं, मैं लोकसभा स्पीकर हूं

नहीं दिया गया समय

बहस के दौरान कांग्रेस सांसद अधीर रंजन चौधरी ने स्पीकर से अपील की कि सांसदों को रिपोर्ट को पढ़ने के लिए 3-4 दिन का समय देना चाहिए. ताकि वह चर्चा के लिए तैयार हो सकें. उन्होंने कहा, मामले की गंभीरता और महत्व को देखते हुए, मैं अनुरोध करूंगा कि सदस्यों को रिपोर्ट का अध्ययन करने और सदन में चर्चा के लिए खुद को तैयार करने के लिए कम से कम 3 से 4 दिनों का पर्याप्त समय दिया जाए.

जिसका विरोध करते हुए बीजेपी सांसद प्रह्लाद जोशी ने कहा, इसी सदन में पश्चिम बंगाल के सोमनाथ चटर्जी जब स्पीकर थे, तब 10 सांसदों को सदन से निष्कासित किया गया था. जब उनसे पूछा गया कि सांसदों को समय नहीं दिया गया, तब उन्होंने कहा था कि सभी सांसदों को एथिक्स कमेटी के सामने बात रखने का समय दिया गया था. ऐसे में अब अनुमति देने का सवाल उठता नहीं है

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