PATNA: बिहार में अफसर विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने की बजाए दोनों हाथ से सरकारी राशि लूटने में लगे हैं। लूट में स्थानीय जन प्रतिनिधि से लेकर ऊपर के अधिकारियों की मिलीभगत होती है। तभी तो खुलेआम भ्रष्टाचार किया जाता है और घोटालेबाज अफसरों पर कोई एक्शन नहीं होता। ब्लॉक में व्याप्त भ्रष्टाचार से लोग त्राहिमाम कर रहे लेकिन वैसे बीडीओ पर कोई एक्शन नहीं होता। दूसरे जिले की बात छोड़िए सरकार के नाक के नीचे पटना जिले में ही घोटालेबाजों की समानांतर सत्ता संचालित है। बीडीओ और जनप्रतिनिधियों की मिलीभगत से करोड़ों की राशि का वारा-न्यारा किया गया लेकिन दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। हद तो तब हो गई जब घोटाले के आरोपी अफसर को ही वरीय अधिकारियों ने जांच का जिम्मा दे दिया। शिकायत पर जांच भी हुई,जांच में गड़बड़ी भी पकड़ी गई फिर भी जिम्मेदार सरकारी कर्मियों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
मनेर प्रखंड में करोड़ों का घपला
पूरा मामला पटना के मनेर प्रखंड का है। इस प्रखंड में सरकारी कर्मियों की मिलीभगत से करोड़ों का वारा-न्यारा किया गया है। मामला ऊपर तक भी पहुंचा लेकिन कार्रवाई की हिम्मात किसी ने नहीं जुटाया। दरअसल मनेर प्रखंड के बांक पंचायत में ग्रामीण आवास योजना में भारी फर्जीवाड़ा की बात सामने आई है।बताया जाता है कि बीडीओ की मिलीभगत से फर्जी तरीके से सैकड़ों आवास के पैसे निकाल लिये गए। इस धंधे में बीडीओ के साथ उक्त पंचायत का पंचायत समिति सदस्य की भी संलिप्तता बताई जाती है। ऐसा नहीं की इस घोटाले की जानकारी जिले के वरीय अधिकारियों को नहीं थी. अधिकारी सब कुछ जानते हुए भी अनजान बने रहे और जांच का दिखावा करते रहे। हद तो तब हो गई जब शिकायती पत्र जिसके खिलाफ था उसे ही जांच का जिम्मा दे दिया गया। बांक पंचायत की मुखिया ने ही सबसे पहले अपने पंचायत में आवास योजना में हो रहे घोटाले से पर्दा उठाया।
पंचायत की मुखिया ने ही घोटालेबाजों की खोली पोल
मनेर प्रखंड के बांक पंचायत की मुखिया आशा देवी ने नवंबर 2019 में ही घोटाले की पूरी पोल खोल दी थी. पंचायत की मुखिया ने पूरे सबूत के साथ पटना के उप विकास आयुक्त को पत्र लिखा था. पत्र में कहा गया था कि प्रधानमंत्री आवास योजना में मेरे पंचायत में प्रखंड कर्मियों की मिलीभगत से घोर अनियमितता व धांधली हो रही है.डीडीसी को पत्र लिखने से पहले मुखिया ने 16 अक्टूबर 2019 को ही मनेर के बीडीओ को पत्र लिखकर पूरी जानकारी दी थी और कहा था कि इस पर कार्रवाई करें नहीं तो गलत करने वालों का मनोबल बढ़ेगा. लेकिन मनेर के बीडीओ ने कुछ नहीं किया.
करोड़ों की सरकारी राशि का किया गया वारा-न्यारा
पत्र में कहा गया है कि फर्जी तरीके से सैकड़ों लोगों को आवास योजना का भुगतान किया गया. मुखिया ने किन-किन फर्जी लोगों को आवास की राशि दी गई उसका पूरा विवरण भी उपलब्ध कराया था. मुखिया के पत्र के बाद डीडीसी ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 7 दिसंबर 2019 को विभागीय जांच के एडीएम कपिलेश्वर मंडल को पत्र लिखा. पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री आवास योजना से संबंधित मुखिया ने परिवाद पत्र दिया है, जिसमें 9 बिंदुओं का उल्लेख किया गया है .इसमें कहा गया है कि उक्त पंचायत में आवास योजना में भारी धांधली हुई है. इसलिए इन 9 तथ्यों की जांच कर जांच प्रतिवेदन यथाशीघ्र उपलब्ध कराएं.
जांच की खानापूर्ति-जिस पर आरोप उसे ही दिया गया जांच
डीडीसी के पत्र के बाद विभागीय जांच के अपर समाहर्ता कपिलेश्वर मंडल ने उसी अधिकारी को जांच दे दिया जिन पर गड़बड़ी करने की खुली छूट देने का आरोप था। यानी प्रखंड मनेर के बीडीओ को ही जांच के लिए पत्र भेजकर विभागीय जांच एडीएम ने अपनी जवाबदेही की खानापूर्ति कर ली। एडीएम ने 9 दिसंबर 2012 को प्रखंड के बीडीओ को पत्र लिखकर कहा कि बांक पंचायत की मुखिया आशा देवी का परिवाद पत्र के आलोक में उप विकास आयुक्त ने जांच का निर्देश दिया है. सभी बिंदुओं की जांच कर 3 दिनों के अंदर रिपोर्ट भेजें.
अब बीडीओ ने प्रखंड चिकित्सा को थमा दिया जांच
अब जरा देखिए......मनेर के प्रखंड विकास पदाधिकारी ने उस जांच संबंधी पत्र को अपने निचले अधिकारी को थमा दिया। बीडीओ ने 11 दिसंबर 2019 को प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी को जांच करने संबंधी पत्र थमा दिया.लेकिन बीडीओ को क्या पता था कि जिसे हम जांच के लिए जिम्मा दे रहे वो ही पूरा मामले से पर्दा उठा देगा? संयोग से ऐसा ही हुआ..... प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी ने जांच किया और स्थल जांच में पूरे घोटाले से पर्दा उठा दिया . जांच अधिकारी ने पाया कि आवास योजना में भारी धांधली की गई हैं. पक्के मकान और दो मंजिला मकान वालों को आवास का लाभ दिया गया. इसके अलावे फर्जी तरीके से जियो टैगिंग दिखा कर आवास योजना स्वीकृत करा कर तीन किस्तों में राशि निकासी की गई। इसके अलावा अन्य तमाम फर्जी तरीका अपनाया गया . प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी प्रिंस ने फाइनल रिपोर्ट 10 जनवरी 2020 को बीडीओ को सौंप दी। जांच में यह भी लिखा था कि आवास सहायक की मिलीभगत से बड़े स्तर पर वारा-न्यारा किया गया।
घोटाले की पोल खोलने वाली रिपोर्ट करा दी गई डंप
घोटाले की पोल कोलने वाली यह रिपोर्ट दिये एक साल से अधिक हो गए लेकिन डीडीसी से लेकर बीडीओ तक ने कोई कार्रवाई नहीं की। बताया जाता है कि घोटाले की पोल खुलने के बाद उस जांच रिपोर्ट को डंप करा दिया गया। चूंकि उस मामले में प्रखंड के अधिकारी ही शामिल थे लिहाजा जांच रिपोर्ट को दबा दिया गया। जब कोई एक्शन नहीं हुआ तो उक्त प्रखंड के प्रमुख ने सचिवालय में बैठे अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा।
27 अगस्त 2020 को प्रमुख ने लिखा पत्र
27 अगस्त 2020 को मनेर के तत्कालीन प्रखंड प्रमुख ममता कुमारी सिंह ने पूरे घोटाले की निगरानी जांच के लिए अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखा. पत्र में कहा गया कि मनेर के बांक पंचायत में प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना में भारी धांधली हुई है। प्रमुख ने अनियमितता की जांच प्रतिवेदन को ठंडे बस्ते में डालने एवं उप विकास आयुक्त के आदेश की अवहेलना करने के संबंध में दोषी व्यक्तियों पर विधि सम्मत कार्रवाई करने की मांग की थी. प्रमुख के पत्र के बाद भी वरीय अधिकारियों की नींद नहीं खुली।
सुशासन राज में लूट जारी
इस तरह से मनेर प्रखंड में सुशासन राज में लूट जारी है और वरीय अधिकारी सबकुछ जानते हुए भी मौन साधे हैं। तीन पहले जिले के डीएम चंद्रशेखर सिंह ने भी मनेर प्रखंड का दौरा किया था और कहा था कि गड़बड़ी की जांच कराई जाएगी। बड़ा सवाल यही है आखिर जांच रिपोर्ट किसके दबाव में डंप कराया गया? जब रिपोर्ट आई तो फिर किसने कार्रवाई करने से रोका?
कुछ दिन पहले दूसरे घोटाले में बीडीओ पर दर्ज हुआ है मुकदमा
बता दें कि कि एक सप्ताह पहले मनेर के प्रखंड विकास पदाधिकारी पर आवास योजना में फर्जीवाड़ा कर सरकारी राशि निकासी मामले में कोर्ट के आदेश पर थाने में मुकदमा दर्ज हुआ है। दर्ज प्राथमिकी की पुष्टि करते हुए मनेर थानाध्यक्ष मधुसूदन कुमार ने बताया कि न्यायालय के आदेश पर पांच लोगों पर 420 समेत अन्य धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई है। मामले की छानबीन की जा रही है।इसमें बीडीओ चंदन प्रसाद,आवास सहायक जुबैर खान, आवास पर्यवेक्षक राजीव कुमार एवं लेखपाल निशांत कुमार के अलावे पंजाब नैशनल बैंक के प्रबंधक को अभियुक्त बनाया गया है।