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'मांझी' को मिल गया जवाबः CM नीतीश बोले- किसी की नाराजगी से कोई फर्क नहीं पड़ता, अब क्या करेंगे?

'मांझी' को मिल गया जवाबः CM नीतीश बोले- किसी की नाराजगी से कोई फर्क नहीं पड़ता, अब क्या करेंगे?

PATNA: बिहार विधान परिषद के लिए राज्यपाल कोटे से चयनित 12 मनोनीत सदस्यों की सूची जारी होने के बाद बिहार में नए सियासी हलचल शुरू है। एक तरफ जहां जदयू के अंदर ही विरोध के स्वर उठे हैं . वहीं सहयोगी दलों ने भी आंखें तरेरी। पूर्व सीएम जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी नाराज हैं। मांझी ने तो खुल कर कह दिया कि सीएम नीतीश ने उनके साथ अन्याय किया है। लेकिन सीएम नीतीश ने साफ कर दिया इस तरह के विरोध से कोई फर्क नहीं पड़ता। 

जानें सीएम नीतीश ने क्या कहा ....

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि कौन नाराज हैं मुझे पता नहीं। CM ने आगे कहा कि आपके पास तो सीमित अधिकार है।उसके बारे में किन्ही की कोई राय होती है उस पर क्या कहिएगा? राजनीत में हर किसी को बोलने का हक है, उससे कोई फर्क नहीं पड़ता. 

मांझी ने कहा-हमारे साथ अन्याय हुआ

हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने कहा है कि अगर एमएलसी की सूची राज्यपाल को भेजी जा रही थी तो कम से कम हमारी पार्टी और वीआईपी को एक-एक सीट दी जानी चाहिए थी,लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बिहार के मुख्यमंत्री रह चुके जीतन राम मांझी ने कहा कि सरकार में आने से पहले ऐसी कोई शर्त नहीं थी कि हमें एमएलसी के लिए एक-एक सीट मिले। लेकिन जब सूची बनाई जा रही थी तो ध्यान रखना चाहिए था कि गठबंधन में सहयोग को भी पूरा अधिकार मिले। उन्होंने कहा कि हमने एमएलसी के लिए एक सीट की मांग की थी लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया यह बेहद ही निराशाजनक है मैं इससे बहुत दुखी हूं।

गठबंधन से अलग होने पर साधी चुप्पी

एमएलसी मनोनयन में  जगह नहीं देने को लेकर एनडीए से अलग होने की बात को लेकर पूछे गये सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी इस पर वह कुछ नहीं कहूंगा। हालांकि जिस तरह से उन्होंने सीएम के फैसले को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की है, उसे आनेवाले समय में नए सियासी भूचाल के रूप में देखा जा रहा है। वहीं जेडीयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने भी खुलकर कह दिया कि जेडीयू में कायस्थों की कोई पूछ नहीं। मेरे साथ भी मुख्यमंत्री ने अन्याय किया।

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