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मांझी-सहनी का डोल रहा मन! खतरे में पड़ जायेगी CM नीतीश की कुर्सी, बाजी पलटने वाले हैं लालू यादव? पढ़ें...

मांझी-सहनी का डोल रहा मन! खतरे में पड़ जायेगी CM नीतीश की कुर्सी, बाजी पलटने वाले हैं लालू यादव? पढ़ें...

PATNA: बिहार में मुख्यमंत्री की कुर्सी सुरक्षित नहीं है। ऐसा इसलिए कह रहे क्यों कि जिन 2 दलों के बूते सरकार टिकी हुई है उनके नेताओं का मन डोल रहा है। दोनों दल के नेता समय-समय पर मन डोलने का सबूत खुद ही पेश कर रहे हैं। बताया जाता है कि सरकार में शामिल दोनों दल के नेताओं से राजद लगतार संपर्क में है। बिहार में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच का फासला काफी कम है। अगर इस फासले में 2 छोटे दलों ने कभी पलटी मारी तो सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगेंगे। 

मांझी-सहनी का डोल रहा मन!

बिहार में एनडीए की सरकार है और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नीतीश कुमार विराजमान हैं। बीजेपी,जेडीयू,हम,वीआईपी और निर्दलीय को मिलाकर 127 विधायकों का समर्थन हासिल है। हालांकि यह संख्या 128 की थी लेकिन जेडीयू के एक विधायक के निधन के बाद यह संख्या घटकर 127 रह गई है। अगर विपक्ष की बात करें तो महागठबंधन में राजद, कांग्रेस, माले, सीपीआई और सीपीएम शामिल है। इन पांचों दल को मिलाकर कुल विधायकों की संख्या 110 है। वहीं ओवैसी की पार्टी AIMIM के पांच विधायक हैं। अगर एआईएमआईएम को भी विपक्ष में जोड़ दें फिर भी यह संख्या 115 तक ही पहुंच रही है। ऐसे में महागठबंधन सत्ता से दूर ही है। लेकिन एक स्थिति में तेजस्वी यादव बाजी पलट कर सत्ता के करीब पहुंच सकते हैं। वो स्थिति समय-समय पर बनते हुए दिख रही है।


तो बाजी पलटने वाले हैं लालू यादव?

नीतीश कुमार की सरकार में शामिल हम और वीआईपी को अपने पाले में लाने की कोशिश राजद की तरफ से भीतर ही भीतर जारी है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि लालू प्रसाद इस मिशन में जुटे हैं. जीतनराम मांझी और मुकेश सहनी का भीतरी गठबंधन भी बहुत कुछ कह रहा है। बताया जाता है कि सरकार में  तवज्जो नहीं मिलने और विप की 1-1 सीट नहीं मिलने की वजह से मुकेश सहनी और मांझी भीतर ही भीतर नाराज हैं और बदला लेने की ताक में हैं। इसके लिए समय का इंतजार किया जा रहा है। ये दोनों नेता समय-समय इसका प्रकटीकरण भी करते आ रहे हैं। शनिवार को भी मुकेश सहनी मांझी के आवास पर पहुंचे थे दोनों में लंबी बातचीत हुई थी। दोनों नेताओं ने इसकी तस्वीर भी जारी कर कहा था कि कई मुद्दों पर चर्चा हुई है। अगर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद की रणनीति काम कर गई तो मुख्यमंत्री की कुर्सी डोलने से कोई नहीं रोक सकता । क्यों कि वीआईपी और हम के 4-4 विधायक हैं । अगर ये 8 विधायक महागठबंधन को समर्थन कर दें तो संख्या 118 पर पहुंच जायेगी। सत्ता तक पहुंचने के लिए बाकी की दूरी ओवैसी की पार्टी AIMIM पूरी कर सकती है। इस दल के पांच विधायक हैं। अगर सरकार में शामिल न होकर बाहर से भी समर्थन दे दें तो यह संख्या 123 यानी जादुई आंकड़ों को छू देगी। बिहार में वैसे तो कुल विधायकों की संख्या 243 है। बहुमत के लिए कम से कम 122 विधायकों का समर्थन चाहिए। हालांकि वर्तमान में बिहार विधानसभा में कुल विधायकों की संख्या 242 है। जेडीयू के विधायक मेवालाल चौधरी के निधन से एक सीट खाली है। 

बिहार में सत्ता का समीकरण

NDA.......बीजेपी-74,जेडीयू-44, हम-4, वीआईपी-4, और निर्दलीय-1=127

महागठबंधन......राजद-75, कांग्रेस-19, माले-12, सीपीआई-2, सीपीएम-2=110 

AIMIM-5.... कुल- 75+19+12+2+2+5=115

अगर मांझी-सहनी ने पाला बदला तब की स्थिति जानिए.....

राजद-75, कांग्रेस-19, माले-12, सीपीआई-2, सीपीएम-2, AIMIM-5, हम-4, वीआईपी-4=123. अगर ओवैसी की पार्टी ने तेजस्वी यादव को समर्थन नहीं दिया तब मांझी और सहनी के महागठबंधन में आने से भी सरकार बनते नहीं दिख रही है। 

अगर AIMIM विस से  वाकआउट कर गई तब की स्थिति

एनडीए-74+44+1=119

महागठबंधन-75+19+12+2+2+4+4=118

ओवैसी की  पार्टी अगर विस से वाकआउट करेगी तो वैसी स्थिति में वर्तमान में विस की कुल क्षमता 237 (खाली 1 सीट भरने पर 238) की रह जायेगी। बहुमत के लिए आधा+1 का होना जरूरी है। ऐसे में मांझी,सहनी के साथ-साथ ओवैसी की पार्टी का भी महत्वपूर्ण रोल है। 

कैसे बचेगी एनडीए की सरकार?

हाल के दिनों में जिस तरह से सरकार में शामिल जीतनराम मांझी और मंत्री मुकेश सहनी के बीच नजदीकियां बढ़ी है उससे बिहार की राजनीति में एक बार फिर से संभावनाओं पर चर्चा शुरू है। सत्ता पक्ष भी पूरा चौकन्ना है और पूरी स्थिति पर नजर बनाये हुए है। वहीं विपक्ष की तरफ से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद दिल्ली में बैठ कर रणनीति बनाने में जुटे हैं। सत्ताधारी दल जेडीयू की नजर कांग्रेस और AIMIM के विधायकों पर भी है। कुछ दिन पहले तो AIMIM के सभी विधायक मुख्यमंत्री आवास जाकर सीएम नीतीश से मुलाकात भी कर चुके हैं। हालांकि तब उन विधायकों ने कहा था कि वे क्षेत्र के काम को लेकर मुख्यमंत्री से मिले थे। वहीं मुकेश सहनी के दल से जो चारो विधायक चुनकर आये हैं उन पर भी पूरी नजर है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच बराबरी की लड़ाई है। बिहार की वर्तमान स्थिति को देखकर कहा जा सकता है कि आगे कुछ भी संभव है। 

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