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मन की बात : भारतीय संस्कृति को अंगीकार कर रही दुनिया, संस्कृत के बढ़ते प्रसार पर कही बड़ी बात

मन की बात : भारतीय संस्कृति को अंगीकार कर रही दुनिया, संस्कृत के बढ़ते प्रसार पर कही बड़ी बात

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा है कि सात समंदर पार लोगों में भारत की संस्कृति अपनाने को लेकर रूचि बढ़ी है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के 84 में संबोधन के दौरान रविवार को भारतीय संस्कृति के विदेशों में बढ़ रहे प्रचार प्रसार पर कहा, आज दुनिया भर में भारतीय संस्कृति के बारे में जानने को लेकर लोग न सिर्फ उत्सुक हैं बल्कि वे उसे अपने जीवन में उतार रहे हैं. 

सर्बिया के एक स्कॉलर का उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा, सर्बिया के डॉ मोमिर निकिच ने सर्बिया की भाषा में संस्कृत डिक्शनरी बनाई है. डिक्शनरी में संस्कृत भाषा के 70 हजार शब्दों का अनुवाद कर शामिल किया गया है. यह विदेशों में भारतीय संस्कृति के बारे में जानने को लेकर बढ़ती रुचि को दर्शाता है. मोदी ने कहा कि हाल ही में मेरा ध्यान एक दिलचस्प कार्य की ओर गया है. हमारे भारतीय प्राचीन ग्रंथ और सांस्कृतिक मूल्यों को भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर में लोकप्रिय बनाने के लिए पुणे में ऐसे ही एक संस्थान द्वारा महाभारत के महत्व से लोगों को ऑनलाइन कोर्स के द्वारा परिचित कराया जा रहा है. यह जानकर हैरानी होती है जो कोर्स अभी शुरू हुआ है उसमें जो कंटेंट पढ़ाए जा रहे हैं उसे तैयार करने की शुरुआत 100 साल पहले हुई. उन्होंने कहा, मंगोलिया के 93 साल के प्रोफ़ेसर जे गेंदेधर्म ने पिछले चार दशकों में भारत के करीब 40 प्राचीन ग्रंथों,  महाकाव्य और रचनाओं का मंगोलियन भाषा में अनुवाद किया.

इस साल के अपने आखिरी मासिक रेडियो कार्यक्रम मन की बात में कहा कि देश आज अमृत महोत्सव मना रहा है. उन्होंने कहा कि नए साल को बेहतर बनाने का संकल्प लें. उन्होंने कहा कि हमारी सजगता, स्वयं का अनुशासन कोरोना के नए वैरिएंट के खिलाफ देश के लड़ने की बड़ी शक्ति है. हमारी सामूहिक शक्ति से कोरोना परस्त होगा. इसी दायित्वबोध से हम वर्ष 2022 में प्रवेश करें.

मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के 84वें एपिसोड को संबोधित करते हुए कहा,  कोरोना का नया वेरिएंट आ चुका है. इसका अध्ययन हमारे वैज्ञानिक कर रहे हैं.  देश ने 140 करोड़ डोज लगाकर बड़ा लक्ष्य हासिल किया है. यह गर्व की बात है. जनशक्ति की ही ताकत और सबका प्रयास है कि 100 साल में आई सबसे बड़ी महामारी से भारत लड़ सका.

उन्होंने तमिलनाडु में हेलिकॉप्टर हादसे में वीरगति को प्राप्त करने वाले कैप्टन वरुण सिंह का स्मरण किया और कहा कि उन्होंने उस हादसे के बाद जांबाजी से लड़ा लेकिन फिर भी वे हमें छोड़ कर चले गए. उन्होंने सीडीएस बिपिन रावत सहित हादसे में जान गंवाने वाले अन्य लोगों को याद किया.


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