Desk. झारखंड में पुरानी परंपराओं को लोग आज भी अपना रहे हैं. इस परंपरा का निर्वहन करते हुए गढ़वा के लोगों ने मेंढक और मेंढकी की शदी करवाई. इस दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे और ढोल नगारे से शादी का कार्यक्रम किया गया. बता दें कि यहां के लोंग प्रत्येक साल बारिश के मौसम में अच्छी बारिश और फसल के लिए मेंढ़क की शादी करवाते हैं.
इस शादी कार्यक्रम के दौरान ग्रामीणों ने बारात भी निकाली. यह बारात ग्रामीण क्षेत्र के कई स्थानों से होकर गुजरी. परंपरा के अनुसार ढोल नगाड़े और वैदिक मंत्रों के उच्चारण के साथ शादी संपन्न हुई. इस दौरान महिलाए विवाह के गीत भी गाती नजर आई. साथ ही लोग आदमी की शादी की तरह झुमते नजर आये.
बता दें कि 1960 के दशक में झारखंड के कई इलाकों में भयंकर अकाल पड़ा था. इसके बाद वहां जमींदर ने क्षेत्र में अच्छी बारिश के लिए मेंढक और मेंढकी की शादी करवाई. इसके बाद यह परंपरा बन गयी और तब से इन इलाकों में प्रत्येक साल बारिश के मौसम में मेंढक की शादी करवाई जाती है. मान्यता है कि इस शादी से अच्छी बारिश होती है और क्षेत्र फसल की पैदावार भी अच्छी होती है.