Desk : कोरोना संक्रमण से बचने के लिए सभी लोग मास्क पहनने की सलाह दे रहे हैं . यहां तक की कई देशों में इसे पहनना अनिवार्य भी कर दिया गया है लेकिन विशेषज्ञों की माने तो अस्थमा और फेफड़ों की बीमारी वाले मरीजों के लिए मास्क पहनना नुकसानदेह हो सकता है। इसे देखते हुए ब्रिटिश सरकार ने ऐसे मरीजों को मास्क पहनने से छूट दे दी है। डॉक्टरों का कहना है अस्थमा के मरीजों को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए।
क्या दिक्कत ’कनाडा के चीफ मेडिकल ऑफिसर प्रोफेसर क्रिस व्हिटी के अनुसार, मास्क पहनने का मतलब है कि गर्म और नम हवा में सांस लेना, इससे अस्थमा के लक्षण पता नहीं चलेंगे ’चेहरे पर कसा हुआ मास्क पहनने से सांस लेने में तकलीफ हो सकती है जो परेशानी का सबब बन सकती है ’गर्मी के दिन हैं, ऐसे में जब आप दिन में बाहर निकलते हैं तो गर्म हवा की वजह से भी दिक्कत हो सकती है
’डॉ. जेसिका किर्बी के मुताबिक, कोशिश करें कि घर पर रहें, ज्यादा जरूरी हो तो तभी बाहर जाएं और आते ही हाथ धुलें ’मास्क पहनना जरूरी हो तो चिकित्सकीय मास्क की जगह हल्के सूती कपड़े का उपयोग कर आप मुंह-नाक को ढंक सकते हैं ’पहले घर में 20 मिनट तक मास्क पहनकर देखें, अच्छा महसूस करें तो ही मास्क पहनकर बाहर जाएं ’मौसम ठंडा हो तो ही निकलें,वर्ना अगर प्रदूषित माहौल या तेज धूप तो तो बाहर निकलने से बचें ’डॉक्टर द्वारा बताया गया इनहेलर लेते रहें। इससे किसी वायरस के चलते होने वाले अस्थमा दौरे का खतरा कम हो जाएगा ’कोविड-19 व अस्थमा के लक्षणों में कुछ समानताएं हैं, लक्षण दिखें तो डाक्टर से मिलें, घबराएं नहीं।
दिल्ली के सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. भरत गोपाल का कहना है कि प्रदूषण ज्यादा रहने की वजह से दिल्ली के लोगों को मास्क पहनने की आदत है। अगर अस्थमा मरीजों को सांस लेने में दिक्कत हो रही है तो वे मॉस्क न पहनें।
चेहरा ढंकना आसान नहीं -ब्रिटेन में प्रमुख स्वास्थ्य सलाहकार जेसिका किर्बी कहती हैं कि अस्थमा के मरीजों को पहले से ही सांस से जुड़ी समस्या होती है। उनके लिए चेहरा ढंकना आसान नहीं। अगर आपको भी सांस लेने में तकलीफ महसूस हो तो कतई न पहनें। क्रमश:
ब्रिटेन सरकार का निर्देश अस्थमा, सीओपीडी यानी क्रॉनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज,सिस्टिक फाइब्रोसिस, क्रोनिक ब्रोंकाइटिस और फेफड़ों के कैंसर वाले मरीजों को मास्क पहनने में दिक्कत हो सकती है। इन्हें मास्क पहनने से छूट दी जाती है