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मेहरबानी के मायने? अज्ञात शव को 12 दिनों तक अस्पताल में छोड़ने वाले 'थानेदार' पर एक्शन नहीं, शराब माफिया को छोड़ने वाले SHO पर भी दिखी थी नरमी

 मेहरबानी के मायने? अज्ञात शव को 12 दिनों तक अस्पताल में छोड़ने वाले 'थानेदार' पर एक्शन नहीं, शराब माफिया को छोड़ने वाले SHO पर भी दिखी थी नरमी

MOTIHARI: अज्ञात शव को 12 दिनों तक अस्पताल में ही छोड़ देने वाले हरैया थानेदार पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। मामले के खुलासे के बाद एसपी ने स्पष्टीकरण मांगा,इसके बाद मामले को खत्म कर दिया गया। कार्रवाई क्या हुई,किसी को पता नहीं। पुलिस की लापरवाही से शव का 12 दिनों तक अंतिम संस्कार नहीं हुआ. लापरवाही बरतने वाले अधिकारी पर कार्रवाई नहीं होना चर्चा का विषय बना हुआ है. वैसे इसके पहले जिले में शराब सप्लायर को थाने से छोड़ने वाले थानेदार पर कार्रवाई नहीं करने का मामला सामने आ चुका है। जबकि सदर अस्पताल से फरार कैदी मामले में चकिया के थानाध्यक्ष को एसपी की अनुशंसा पर डीआईजी ने निलंबित कर दिया. 

12 दिनों तक शव को अस्पताल में छोड़ने वाले थानेदार पर क्या हुई कार्रवाई 

मोतिहारी में पुलिस की बड़ी लापरवाही उजागर होने के बाद भी कार्रवाई नही होना चर्चा का विषय बना है। नियम को ताक पर रखकर पोस्टमार्टम के बाद 12 दिन तक शव को शव गृह में ही छोड़ दिया गया था । हरैया ओपी के थानेदार की लापरवाही से अज्ञात शव को समय से  दाहसंस्कार भी नसीब नही हुआ । मीडिया में खबर आने के बाद 12 दिन बाद थानेदार ने दोनों शव को अस्पताल के शव गृह ले जाकर दाह संस्कार कराया था। 12 दिनों तक अस्पताल में शव छोड़ने से शरीर सड़ गया था। नियम है कि अगर अज्ञात शव है तो पोस्टमार्टम के बाद पहचान के लिए 72 घण्टे तक रखना है। अगर इतने समय के बाद कोई सामने नहीं आता है तो अंतिम संस्कार करने का प्रावधान है। लेकिन यहां तो हद हो गया.....हरैया थानेदार द्वारा 12 दिन तक अस्पताल के शव गृह में ही शव को छोड़ दिया गया। यह बड़ा ही गंभीर सवाल है। 

मेहरबानी के मायने? 

पूर्वी चंपारण के हरैया ओपी थाना की इतनी बड़ी लापरवाही सामने आने के बाद भी थानेदार पर कोई एक्शन नहीं। दिखावे के लिए सिर्फ स्पष्टीकरण । जबकि अस्पताल में इलाज के दौरान कैदी भागने पर एसपी की अनुशंसा पर चकिया थानेदार को निलंबित कर दिया गया था. फिर इतनी बड़ी लापरवाही पर हरैया ओपी पर मेहबानी के क्या हैं मायने ? बता दें, मोतिहारी सदर अस्पताल में इलाज के दौरान बैंक लूट कांड के आरोपी के भागने के मामले में चकिया इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया। जबकि दो अज्ञात शव के पोस्टमार्टम के बाद नियम को ताक पर रखकर 12 दिन व 5 दिन तक सदर अस्पताल के शव गृह में शव की छोड़ने वाले थानेदार पर अबतक कार्रवाई नहीं होने से पुलिस महकमें में ही तरह-तरह की चर्चा है। चर्चा है कि उंची पकड़ होने की वजह से हरैया थानेदार से सिर्फ स्पष्टीकरण की मांग कर मामले को रफा-दफा कर दिया गया। 

शराब कारोबारी को छोड़ने वाले थानेदार पर भी नहीं हुई थी कार्रवाई 

बता दें, हरैया थाना पुलिस ने 15 जुलाई को 45 वर्षीय एक अज्ञात पुरुष व 22 जुलाई को एक अज्ञात किशोरी के शव पोस्टमार्टम कराया गया था. 26 जुलाई तक दोनों शव सदर अस्पताल के शव गृह में ही छोड दिया. मीडिया में खबर आने के बाद हरैया ओपी थाना पुलिस आनन फानन में शव को दाह संस्कार के लिए ले गयी । खबर आने के बाद थानेदार से स्पष्टीकरण की मांग की गई। लेकिन कार्रवाई कुछ नहीं . इसके पहले भी पहाड़पुर के तत्कालीन थानेदार ने शराब सप्लायर को हाजत से छोड़ दिया था। जांच में आरोप सही पाये गये लेकिन कार्रवाई करने की बजाय जिला मुख्यालय मोतिहारी से सटे बंजरिया का थानेदार बना दिया गया. 

नहीं बोल रहे पुलिस अफसर

आखिर खास थानेदारों पर इतनी मेहरबानी क्यों? इस सवाल का जवाब देने के लिए पुलिस के अधिकारी तैयार नहीं। चंपारण रेंज के डीआईजी से जब पूछा गया तो उन्होंने इस बिंदु पर कोई जबाव नहीं दिया. 

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