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स्मृति शेष : 2010 में अनंत कुमार ने टाला था नीतीश के साथ भाजपा का टकराव

स्मृति शेष  : 2010 में अनंत कुमार ने टाला था नीतीश के साथ भाजपा का टकराव

PATNA :  दिवंगत केन्द्रीय मंत्री अनंत कुमार का बिहार से गहरा नाता रहा था। उनकी कार्यकुशलता की वजह से 2010 के बिहार विधानसभा चुनाव में जदयू और भाजपा के बीच एक बड़ा टकराव टल गया था।  अनंत कुमार की रणनीतिक सूझबूझ के कारण इस चुनाव में दोनों दलों का चुनावी फायदा मिला था।

2010 में अनंत कुमार ने टाला था नीतीश के साथ टकराव

2010 में बिहार विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा और जदयू में नरेन्द्र मोदी को लेकर गतिरोध पैदा हो गया था। जून 2010 में नीतीश ने पटना में भाजपा नेताओं का भोज रद्द कर के तहलका मचा दिया था। नरेन्द्र मोदी के साथ उनकी प्रकाशित होने पर नीतीश कुमार ने इतना कड़ा कदम उठाया था। इस झटके से भाजपा के शीर्ष नेता बहुत मुश्किल से उबरे थे। दोनों दलों के बीच तनाव पैदा हो गया था। अनंत कुमार की वजह से दोनों दलों के रिश्ते पर जमी बर्फ पिघलने लगी थी। अक्टूबर में चुनाव होने थे। इसके पहले चुनावी रणनीति तैयार करने के लिए जदयू और भाजपा में विचार विमर्श होने लगा था। उस समय बिहार भाजपा के अध्यक्ष डॉ. सीपी ठाकुर थे। अनंत कुमार भाजपा के बिहार मामलों के प्रभारी थे। नीतीश कुमार चाहते थे कि बिहार विधानसभा के चुनाव प्रचार में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को नहीं बुलाया जाए। नरेन्द्र मोदी गुजरात में लगातार चुनाव जीतने के कारण एक लोकप्रिय नेता थे। नीतीश कुमार को अल्पसंख्यक वोटों पर भरोसा था। उन्हें लग रहा था कि नरेन्द्र मोदी के आने से यह वोट बैंक बिखर सकता है। 

 दिल्ली में ऐसे बनी थी बात

बिहार चुनाव पर चर्चा के लिए जुलाई 2010 में नीतीश कुमार दिल्ली गये थे। वहां नाश्ते के टेबल पर नीतीश की अनंत कुमार, डॉ, सीपी ठाकुर और भाजपा के अन्य नेताओं से मुलाकात हुई। नरेन्द्र मोदी के मसले पर नीतीश से टकराव को टालने के लिए अनंत कुमार ने एक दांव खेला। उन्होंने कहा कि अभी चुनाव की रणनीति पर चर्चा होगी। नरेन्द्र मोदी आएंगे कि नहीं, इस मसले पर फिर कभी बात होगी। अभी हम लोग सीट के हिसाब से चुनावी सभाओं का संयुक्त कार्यक्रम बनाएंगे। अगर इस एजेंडे में नरेन्द्र मोदी का मुद्दा भी रहता तो शायद दोनों दलों के बीच बात बिगड़ सकती थी। बाद में नीतीश कुमार की मंशा के मुताबिक भाजपा ने चुनाव प्रचार के लिए नरेन्द्र मोदी को बिहार नहीं बुलाया था। इस चुनाव में भाजपा- जदयू गठबंधन को जीत मिली थी।

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