PATNA : क्या बिहार में खैनी पर प्रतिबंध लगेगा ? इस आशंका की खबरों के बीच रविवार को स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय ने सफाई दी। उन्होंने कहा कि इस मामले में राज्य सरकार ने केन्द्र को कोई पत्र नहीं लिखा है। हां, मुंह का कैंसर से बचने के लिए लोग खुद खैनी खाना छोड़ दें। यह सेहत के लिए सुरक्षित है। मंगल पांडेय की यह सफाई तब आयी है जब बिहार में इस पर राजनीतिक और सामाजिक विवाद तेज है। केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान ने इस विवाद की आग को और भड़का दिया है।
खैनी पर प्रतिबंध की कोशिश की खबरें तब सार्वजनिक हुईं जब बिहार के
स्वास्थ्य विभाग ने केन्द्र सरकार को एक पत्र लिखने की जानकारी मिली। प्रधान सचिव संजय कुमार के हवाले से खबर आयी थी
कि स्वास्थ्य
विभाग ने केन्द्र सरकार को एक पत्र लिख कर खैनी को खाद्य पदार्थ के रूप में
अधिसूचित करने की मांग की है। अगर ये मांग स्वीकार कर ली जाती तो बिहार सरकार को
खैनी पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार मिल जाता।
इस मुद्दे पर राजनीतिक विवाद तब
और बढ़ गया जब केन्द्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने पटना में एक बयान दिया। उन्होंने
जो कहानी सुनायी उसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कटाक्ष था। गिरिराज सिंह ने
बिना सीएम का नाम लिये उन पर परोक्ष रूप से वार किया। जाहिर है इस बयान की गूंज
जदयू तक पहुंची होगी। इस प्रकरण के बाद अब मंगल पांडेय ने सफाई दी है, तो इसका
मतलब है भाजपा विवादों की आग पर पानी डाल रही है।
खैनी नशा है लेकिन इसको बिहार में
सामाजिक रूप से स्वीकर कर लिया गया है। गांव की रोजमर्रा की जिंदगी से खैनी का गहरा
संबंध है। बड़े- बड़े और पढ़े-लिखे लोग खैनी खाते हैं। आम लोगों के लिए ये झटके
वाली खबर थी। इस लिए विरोध जल्द ही शुरू हो गया।